________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ggeRRORRUPPORRUARUURRUARUARURRORRUARIURE // वैशाखमाहात्म्य अध्याय 16 // तस्नानमुषसितथैवार्चयतंविभुं // कथांचशृणुतंनित्ययेनबंधोनिवर्तते॥५१॥ एवंचबहुभिर्वाक्योंधितावपिदुर्मती // क्रुद्दोऽभवंदंतिलोऽहंमत्तोऽहंकोहला- Ig सहयः // 52 // क्रुद्धःशशापनौसद्यःपिताधर्मषुलालसः // पुत्रंचधर्मविमुखंभाशयाँचाप्रियवादिनीं // 53 // अब्रह्मण्यंचराजानंत्यजेत्सद्योऽन्यथाभवेत् // 5 दाक्षिण्यादर्थलोभाहासंसर्गयेप्रकुर्वते // 54 // तेसर्वेनरकंयांतियावदिंद्राश्च तुर्दश // इतिज्ञात्वाशशापावांमदक्रोधपरिप्लुतौ // 55 // क्रुद्धस्त्वंदंतिलो आभूयाःसिंहःक्रोधपरिप्लुतः // मत्तस्तुकोहलोभूयामत्तमातंगयूथपः // 56 // कृ तानुतापौपश्चात्तुप्रार्थयावविमोचनं ॥आवाभ्यांप्रार्थितोभूयोविशापंचददौपिशता // 57 // युवांप्राप्यचदुर्योनिकियकालांतरेपिच // संगमोभवितातत्रप-8 Bನಜನಜನಜನಜನಜನಜನಜನಜನನ್ನು For Private and Personal Use Only