________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir // वैशाखमाहात्म्य अध्याय 12 // थैवचपितामहैः॥ 13 // तेषामतीतपितरःपितणांपितरस्तथा // तथामातामहायांतितेषांतेजनकादयः // 14 // तेषामपिंजनेतारोजनित्रीणांहिपूर्वजाः॥ एतदुःखंपुनर्देवमममस्तकभेदनं // 15 // प्रियायाःपितरोयांतिमाजयित्वा / लिपिमम // पितृणांबीजजोयस्तुधात्र्याकुक्षौधृतोविभो // 16 // यदेकेनकृतंक-15 शर्मतदेकेनैवभुज्यते॥ तन्निरस्यकृतंसर्वजातस्त्वेकःकुलेतुयः // 17 // तारयेत्ता-दि सवुभौपक्षौषड्विंशोपर्यलंविभो // प्रियायाश्चापितातसर्ववेकुक्षिसंभवाः // 18 // तेपिसर्वेजगन्नाथयांतिविष्णोःपरंपदं॥नमेप्रयोजनंदेवनियोगेनेदृशेनवै॥१९॥ वैशाखधर्मनिरतःसमांत्यक्त्वाव्रजेहरिं॥त्रिःसप्तकलमहत्यत्यक्तपापोऽतिशोभशानः॥२०॥ सत्यक्त्वाममलोकंहिप्रयातिहरिमंदिरं // नयज्ञैस्तादृशैस्तातगति REET/टन्नाटा For Private and Personal Use Only