________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir MPORRORRUARUPEERSOURCORRUAROOPULARUAROUNT // वैशाखमाहात्म्य अध्याय 11 // तभिश्चायनैर्यगैः // 100 // संकल्पैश्चविकल्पैश्चनिमेषोन्मेषणैस्तथा // ऋ. आर्योगैश्चकरणैःपौर्णमासीदसंक्षयः // 1 // सुखैर्दःखैर्भयैश्चैवलाभालाभैर्जया-M जयैः॥ सत्वेनरजसाचैवतमसाचसमन्वितं ॥२॥शांतिमूढातिघोरेश्चविकाशरैःप्राकृतैरपि॥ वायुनाचैवदेवन लेष्मपित्तादिभिर्वतं॥३॥तेषांमध्ये विशत्सौरिःसनीडाचवधर्यथा|विलोकयन धरापृष्ठंम्लानवक्रव्यदर्शयत्॥४॥ तंप्रविष्टंयमंदृष्ट्वासकाशस्थाःसहानुगं // विस्मितास्तेमिथःप्रोचुःकिमयंभास्कैरिस्त्विह // 5 // संप्राप्तोलोककर्तारंद्रष्टुंदेवंपितामहं // निर्व्यापारःक्षणमपियोऽयंना-8 सस्तेरवेःसुतः // 6 // सोऽयमभ्यागतःकस्मात्कच्चित्क्षेमंदिवौकसां // आ 1 इंदुसंक्षयो दर्शः / 2 लजिता / 3 यमः / ಕನಕನಳನಳಸುಜನಜನಜನಕನಕನನಡ For Private and Personal Use Only