________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir REORRRRRRRRRRORROASOAMIRMIRRORCOASONGS // वैशाखमाहात्म्य अध्याय 12 // विशिखैस्त्रिभिः // 86 // पुनश्चर्मासिमादाययमोहंतुमथागमत् // तंदृष्ट्या तुनृपःक्रुद्धःपुनछित्त्वाऽसिचर्मणी // 87 // निचखानललाटेचशरंकालोरंगप्रम भं // यमस्तेनाहतःक्रुद्धस्ततोदंडमुपाददे // 88 // ब्रह्मास्त्रेणचसंमंत्र्यदंडं 6 तस्मैमुमोचह // हाहाकारोमहानासीज्जनानांपश्यतांतदा // 89 // तदावि-18 ष्णुःस्वभक्तस्यरक्षायैप्राहिणोदरि // विष्णुमुक्तंतदाचक्रंशीघ्रमागत्यतद्रणे दि // 50 // यमदंडेनसंयुध्यतब्रह्मास्त्रंनिवार्यच // यमहंतुमथारेभेसहस्रारंमहाअद्भुतं // 91 // देवभक्तस्ततोभीतस्तदाऽस्तौच्चक्रमंजसा // सहस्रारनमस्तेस्तुविष्णुपाणिविभूषण॥ 92 // त्वंसर्वलोकरक्षायैहरिणाचधृतंपुरा॥ त्वांया 1 ढाल इति लोके / 2 कृष्णसर्पतुल्यवर्ण / 3 चक्रं / टाटामाटान्डा For Private and Personal Use Only