________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(६८) रसराज महोदधि। गाजबाँ६मासे बनफ्शा ६मासे मुनक्का ७ नग उनाब विलायती ५ नग मिश्री २ तोला सब दवा एक में मिलाय शामको भिगोय सबेरे एक सेर पानीमें चुरावे जब आधासेर रहै तो छानिके पीनेसे शरीरभरेके रोगोंको नाशै. ___ इति श्री मुन्शी भगवान् प्रसाद शिष्य भक्त भगवान् दास विरचित वैद्यक रसराज महोदधि नव विष, नव उपविष शोधन, खाने के गुण, सातो धातु और सातो उपधातु मारन,खाने के गुण,मूत्रकृच्छ्र के लक्षण, खाने की दवा, अच्छी २ मुन्जिस शीत पित्तके लक्षण और खानेकी दवा अम्ल पित्तका लक्षण और खानेकी दवा लक्ष्मी बिलासतेल हरतारमारन शंखियामारन नाम दूसरा खंड समाप्त ।
अथ तीसरा खंड. (उपदंश) फिरंगवाय-गरमीकावर्णन.
वेश्या स्त्री तथा रजस्वला तथा चंडालिनी स्त्रीके पास जानेसे गर्मी पैदा होतीहै तथा गर्मीवाला मनुष्य जिसजगह पेशाब करे उसकी जगहपर पेशाब करनेसेभी गर्मी पैदा होतीहै और वात पित्त और कफके कोपसे फिरंग वायरोग तीन रोजमें पैदा होताहै.
For Private and Personal Use Only