________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(६६) रसराज महोदधि चावलके धोवनके साथ पीनेसे मूत्रकृच्छ्र नाशे (अथवा ) आँवलेका रस दारुहर्दी शहद मिलाय पीनेसे नाश होय.
. दुग्ध योग. दूधमें गुड़ मिलाय थोरा गर्म करि पीनेसे सब प्रकारका मूत्रकृच्छ्र दूर होय.
यवाखार योग.
५ मासा मिश्री मिलाय यवाखार पीनेसे मूत्रकृच्छ्र नाश होय संशय नहीं.
गोखुरू का काढा बनाय यवाखार मिलाय खाने से पुराना मूत्रकृच्छ्र दूर होय.
कुडाकी छालको गोके दूधमें पीसि पीने से भयंकर मूत्रकृच्छ्र नाशहोय अथवा ताकमें यवाखार मिलाय पीनेसे मूत्रकृच्छ्र नाश होय अथवा सनायकी पत्ती ककडीके बीज मिलाय खानेसे मूत्रकृच्छू नाशै.
अथ चार प्रकारका मुञ्जिस. उनाब विलायती ५ नग संवरा ५ मासे चिरायता ६ मासे गाजुबाँ का पत्ता ५ मासे सौंफकी जड ९ मासे मकोय सूखी ४ मासे कासनी की जड़ ९ मासे यह सब दवा मिलायके पाव भर पानी में शाम
For Private and Personal Use Only