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(४१)
रसराज महोदधि।
यंत्र ३१
इसको स्वेदनयंत्र कहते हैं एक बड़ा पड़ा लेकर
उसमें आधा घड़ा पानी डालके तब आधा सेर गंधापिरोजा लेकर गोदन दुद्धीके लुगदीमें रखकर तब कपडामें पोटरी बांधिक रस्सी में बांधकर घड़ामें लटकावै और
घड़ाके ऊपर एकछोटीहंडी रखकर कपड़मिट्टी करके तब अग्नि जरावै ६ घंटा आंचदे तो सब गंधापिरोजा घडाकी पेंदीमें चूचकर गिरै सोगंधापिरोजा फिर इसी विधिसे चार दफे कपडमिट्टी करके चुआवै तो सब काममें बैपरै सुजाक जो कि पीव बहता हो सो सात दिनमें अच्छा होय मिश्री ६ मासे इलायची ६मासे गंधापिरोजा६मासे ये सब दवा खाय १५ दिन और गायका दूध आधासेर पीवै तो परमा पथरी सब रोग दूरि होयँ और यह गंधापिरोजा सब रोगपर देय और इसीविधिसे गंधापिरोजाका शत निकाला जाता है.
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