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रसराज महोदधि (२५) को मलिके छानिके एक सेर कन्द मिलाकर चासनी करले. खुराक सवातोला, उलटीको शान्त करताहै.
१६शर्बत चन्दनकी विधि. चन्दनका चूरन एकसेर पांचसेर पानीमें अंगार पर चुरावै जब आधा रहजाय तब चारसेर कन्दमें मिलाकर चासनी करले खुराक एक तोला पित्तज्वरको दूर करताहै उलटी शान्त करताहै, भूख लगाताहै, और तमाम शरीरको खुश करताहै.
मृगीकी दवाई. दोहा-बच खुरशानी शहद सँग, दोयटंक जो देय ॥
मृगी रोग तुरतै हरै, दूध भात पथ लेय ॥ ब्रह्मणी वच कुट संगसों, शंखाहोली लेय ॥ गऊ घीवमें पीजिये, मृगी व्याधि क्षय होय ॥ मिरच डिठोहरिमें धरै. दिनइकिस परिमान ॥ जलसों नाश जुलीजिये, होय मृगीकी हान ॥
परमाकी दवाई. शंखाहोलि, इलाइची, शिलाजीत पुनिलेय ॥ सब परमोंका दुख हरे, प्रात समय जो सेय ॥ रस गिलोय निकालके, पीजै शहद मिलाय ॥ सब परमाका दुख हरै प्रात समय जो खाय ॥
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