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(८) रसराज महोदधि।
अथ दाहका लक्षण. बाहर अन्दर दाह बहुत होय. उदर गरम रहै मुरछा होय. तृषा होय. ये लक्षण दाहके हैं.
अथ बदनमें बादी कब्जियत
बिगडेका लक्षण. जिस आदमीके अंगमें बादीका बहुत जोर होता है उससे खाना नहीं खाया जाता. और न बराबर हजम होय. तमाम अंगमें सुस्ती होवे हाथ पांवमें चिकनाहट होवे और पानीके मुवाफिक मालूम होय पानी पीनेकी इच्छा न लगै गर्मी मिजाजमें मालूम होय.
अथ खून बिगड़ेका लक्षण. जिस पुरुषके अंगमें रक्त बिगडा होवे उसके मुंहका स्वाद मीठा कडुआ होय. शिर भारी होय. और हड्डीके अन्दर दर्द होय. जबान सूखी रहै और अंगमें खुजली, आंख सुर्ख रहै पेशाब लाल उतरै नाडी बहुत जलदी जलदी चलै ये लक्षण रक्त बिगडेके हैं.
वात पित्त मिश्रित होय उसका लक्षण. दोहा-चात पित्त कफ धीरते, करत बदनके रोग।
जील दोष दुर्वासना, फोडा फुडिया योग ॥
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