________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
रसराज महोदधि। (१६५) . कुष्ठके खानेकी दवा. सेहुँडका दूध आधासेर, भूजाचना पांच तोला एकमें मिलाय खल करै फिर चनाबराबर गोली बांधै कुष्ठवाले रोगीका बल देखि दे तो गलितकुष्ठ दूर होय इसपर खटाई और सब परहेज रक्खै कुछदिन सेवै तो आराम होय. कुष्ठकी दूसरी दवा.
निव, कडू परवर, कटैली, गिलोय, बांसा सब चालीस चालीस तोले ले कूटिके एक द्रोण पानी में चुरावै जब चतुर्थाश काढ़ा रहिजाय तो घृत ६४ तोले त्रिफलाका काढ़ा ६४ तोले मिलायुकै पकावै घृतको सिद्धकर खानेसे कुष्ठ दूर होय और ८० प्रकारका वात रोग ४० प्रकारका पित्तरोग २० प्रकारका कफरोग दुष्टत्रण कृमि बवासीर पाँचोंखांसी इन्होंको नाशै.
अथ त्रिफलादि मोदक. त्रिफलाका चूर्ण ६० तोले, वायविडंग २८ तोले, लोहभस्म ८ तोले, वावची ४० तोले, शिलाजीत २ तोले, गूगुल ८ तोले पुस्करमूल ४ तोले, निसोत १ तोला, मिर्च, पीपल, सुंठी, दालचीनी, तमालपत्र केसर, नागरमोथा ये सब दवा दो दो तोले लेय सब औषधोंके समान मिश्री मिलाय ४ तोलेके लड्डू बनाय प्रभातसमय १ लड्डू रोज खाय तो मनोवांछित भोजन करै १८ प्रकारके कुष्ठ,तिल्ली, गुल्म, भगंदर ८० प्रका
For Private and Personal Use Only