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रसराज महोदधि ।
इन्द्र की पथरीको तुरत हटावे. इसका गुण बहुत कहांतक वरणन कर बतावै. जो से तो रोग कभी नहिं पावै. चला नादान भगवान दास कहावै. फारसीको उल्थाकर हिन्दी बनावे. अथ पारेका सिद्ध गुटका. पारा दोतोले, संग्रासिक चार तोले, नमक दो तोले, जामुनका सिरका तीनसेर यह सब लेकरके पहिले तवापर आधा नमक रक्खै फिर पारा रक्खै फिर पारे को नमकसे ढांप देवै और सवाके नीचे अनि जावै ऊपरसे सिरका छोडै कलछुलीसे चलाता जावै सिरका छोडता जावै जबतक मसका न होवे तब तक अग्नि जराता और सिरका छोडता जावै जब मसका हो जावै तो मोटे कपड़े में रखकर पोटरी बांधिके गारै जो कपड़ेमें पारा रहजाय उसको साफ कर ऐसा धोवै कि सूर्यकीसी ज्योति होवै तब गोली बांधिके धतूरेके तेल में दोदिन रक्खै फिर नींबू के रसमें दोदिन रक्खै फिर पोस्ताके रसमें दोदिन रक्खै फिर निकाल करके जसवंतीके पत्ताके रससे धोकर साफ करले इस गोलीको जो दहिने भुजापर बांधै तो वो मनुष्य देवताओंके सदृश होवै गोली दिवाली या होलीके रोज बनावै अथवा शुद्ध होकर ग्रहण लगनेपर बनावे.
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