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१०२)
रसराज महोदधि ।
लौंग जायफल इन सबको ब्रूकि कपरछान करि सहिजनेके रसमें ४ पहर घोटे यह वसन्तराज रस है. पाँच प्रकारके श्वास व पाँच प्रकारकी खांसीको नाश करे और स्वरभंगको दूर करे इसका गुण बहुत है (पुनः) शुद्धपारा ६ मासे गन्धक ६ मासे शुद्ध मैनशिल ६ मासे मिर्च ६ मासे पीपल ६ मासे सब कूटि कपड़छान करिके पानमें गोली बनाय खानेसे सब प्रकारके श्वास खांसी नाश होयँ
अथ दमा व खांसीका इलाज
सैहुँडके पत्तोंका रस धतूर के पत्तोंका रस मदार के पत्तोंका रसले प्रथम सेहुँड व मदार के पत्तोंको अग्निपर गरम करके रस निकालै सबका रस पाव पाव भरि लेवे फिर अरूसके पत्ता डेढपाव एक सेर दूधमें चुरावै, जब तीनभाग जरजाय एक भाग रहै तब छान लेवे फिर सब रस इकट्ठा करके चुरावै जब रस गाढ़ा होजाय तब पीपरि लौंग सोहागा छोटी इलायची अफीम सोंठि ये सबदवा एक तोला ले कूट कपंड छान करके रस में मिलाके चना बराबर गोली बांधे खुराक एक गोली शामको और एक सबेरे खाय तो खोकला खांसी दमा इत्यादि सब रोग दूर होय. ॥
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