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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रसराज महोदधि। (९९) क्तिसे पूजा करै और सोना दानदे तो श्वास शांति होय पीछे दवा करै. अथ श्वासका लक्षण _जब मनुष्य श्वाससे दुःखी होय तबमस्तबैलकी नाई लंबे २ श्वास निरंतर लेय संज्ञा और ज्ञान नष्ट होजाय, नेत्र तरतराट करैं और श्वास लेते मुँह कट व 'फट जाय, बोला नहीं जावै, गरीबसा होजाय और जिसका स्वर बहुतही दूर सुनाई देय तो बैद्यको चाहिये कि इस श्वास वाले रोगीको असाध्य जान दवा न करै (पुनः) सर्व शरीरमें पीड़ा होय और पाँचों पवनोंसे पीडित मनुष्य ठंढी २ श्वास लेवै अथवा दुःखित हो श्वास नहींले अफाराहो शरीरका व्रण और होजाय तो असाध्य जानों. अथ खांसी श्वास की दवा. बंग १ टंक पीपरि २ टंक हड़का बोकला ३ टंक बहेडेका बोकला ४ टंक रूस की पाती ५ टंक भारंगी ६ टंक इन सबको कूट कपरछान करि बबूलके क्वाथ में २ पुट दे पीछे शहद में २ पुट दे खल करि झरवेरके बराबर गोली बाँधै १ गोली खाय तो श्वास खांसी क्षयी सब दूर होय. For Private and Personal Use Only
SR No.020866
Book TitleVaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Bhagat
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1820
Total Pages206
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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