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रसराम महोदधि । (८७)
एक सेर मिश्री इन दोनोंकी चासनी करले और चासनीमें गवरा डालदे फिर दवा केवडाका अर्क एक तोला, गुलाबका अर्क एक तोला, कस्तूरी एक तोला, अगर एक तोला, सब कूट कपड छान करके चासनी में मिला पन्द्रह दिन रक्खै पीछे खानेको देवै खुराक एक तोला हडके मुरब्बासे ऑवराके मुरब्बेका गुण ज्यादा है सब रोगोंपर दे. अथ गाजर का मुरब्बा
अच्छा गाजर चार सेर लेकर उसका छाल छोल कर दूर करे फिर छोटे २ कतरा कर एक दिन पानीमें भिगोदे तब पानीसे निकाल दो सेर मधुमें चुरावै फिर दो सेर मधु लेवे दोनो मधुकी चासनी करे उस चासनीमें गाजर छोड देवै फिर सोंठि बालछड मिरच बड़ी इलायची रूमीमस्तंगी पीपरि कंफरकेवीज यह सब दवा एक २ तोला ले कपड़छान करके मुरब्बामें मिलाय देवै आठ दिन पीछे खुराक डेढ़ तोलादे मनीको बढाता है छाती व कमरके दर्दको दूर करताहै मन प्रसन्न करता है कलेजेकी गर्मीको शान्त करता है सब रोगोंको फायदा करता है.
अथ बचका मुरब्बाअच्छी बच दो सेर लेके पानीमें एक सत एक दिन
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