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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दी गयी है। सोमवंशी क्षत्रिय जैनों से उत्पन्न तगरबोगारों का परिस्थितिवश शैव होना व लिंगायतों द्वारा जैनों को लिंगायत बनाया जाना आदि विवरणों में ऐतिहासिक सत्य अनुस्यूत है। महाराष्ट्र में चर्चित क्षत्रियों के छियानवे कुलों का भी यहाँ उल्लेख है। यहीं पद्मावती का वर्णन है। काम के बदले उपज का अंश आदि पाने वाले बलुत कहलाते हैं। पद्मावती को इन बलुतेदारों की निम्न वर्ग के समाज की देवी बताया गया है। छोटेमोटे व्यापारी, लुहार, सुनार, सुतार आदि कारीगर वर्ग की यही पूज्य देवी हैं। श्रवणबेलगोल से लेकर कारंजा तक के प्रदेश के जैनों में हुए परिवर्तन को जानने के लिए यह अत्यन्त उपयोगी ग्रन्थ है। इन्होंने अपने ग्रन्थ का आधार संस्कृत में रचित महापद्मपुराण बताया है। जिनरत्नकोश में भट्टारक सकलकीर्ति के शिष्य जिनदासरचित संस्कृत पद्मपुराण के अतिरिक्त अन्य संस्कृत पद्मपुराणों का उल्लेख है। इनमें से किस पुराण में कालिकाकथा है, यह शोध का विषय है। शेष अध्यायों में इन्होंने सम्यक्त्वकौमुदी, धर्मपरीक्षा तथा अनन्तव्रतकथा का गुम्फन किया है। चरितकाव्यों में गुणदास का श्रेणिकचरित्र प्रथम व उत्कृष्ट साहित्यिक ग्रन्थ है। सुसम्बद्ध कथानक, रोचक व मुख्यकथा के प्रवाह से सम्बद्ध उपकथाएँ, नगर, मण्डप, विवाह अभयकुमार की बाललीला आदि प्रबन्धकाव्योचित वर्णन व श्रेणिक, चेलना, अभयकुमार, नन्दा, कुणिक आदि के चरित्र-चित्रण इनकी काव्य-प्रतिभा के निदर्शन हैं। मराठी भाषा, तत्कालीन मराठी समाज व संस्कृति के अध्ययन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। इसी श्रेणिक चरित्र को आधार बनाकर जनार्दन कवि ने चालीस अध्यायों वाला श्रेणिकपुराण लिखा। जनार्दन कवि की भाषा अत्यन्त प्रौढ़ व रचना श्रेष्ठ दर्जे की है। नौ रसों की अभिव्यंजना के लिए काव्य का विस्तार किया है। अलंकार प्रचुर भाषा शैली व समर्थ अभिव्यक्ति कौशल मुक्तेश्वर व एकनाथ के गुणों का समन्वय प्रतीत होता है। जिनसेनकृत जम्बूस्वामीचरित सुसम्बद्ध कथानक व अलंकृत शैली का उत्तम महाकाव्य है। दामापण्डित ने संस्कृत ग्रन्थ के आधार पर जम्बूस्वामी चरित्र रचा है। यौधेय देश के राजा यशोधर के चरित पर तीन काव्यों की रचना हुई है। व्युत्पन्न पण्डित मेघराज का जसोधररास भाषा-अध्ययन की दृष्टि से उपयोगी है। इनकी मातृभाषा गुजराती थी। भाषा पर भी गुजराती का संस्कार है। ग्रन्थ का नाम भी जसोधररास है। नागोराया का जसोधरचरित्र वादिराजसूरि के संस्कृत 'यशोधरचरितम्' पर आधारित है। भाषा पर बरारी बोली का प्रभाव है। गुणनन्दी ने जसोधरपुराण के लिए सकलकीर्ति के ग्रन्थ को अपना आधार बनाया है। सुदर्शन पर भी दो रचनाएँ हैं। कामराज कृत सुदर्शनचरित जिसका आधार जिनदासकृत सुदर्शनरास तथा वीरदास (मुनि अवस्था में पासकीर्ति) का सुदर्शनचरित है। जिसका आधार सकलकीर्तिकृत संस्कृत ग्रन्थ है, दयाभूषण ने गुजराती रास के आधार मराठी जैन साहित्य :: 829 For Private And Personal Use Only
SR No.020865
Book TitleJain Dharm Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhprasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2012
Total Pages876
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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