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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org सदस्यों की सबसे अधिक भीड़ होती है। हर वर्ष सिंगापोरे जैन रिलिजिअस सोसाइटी किसी ज्ञानी और जैनधर्म के विद्वान् गुरु / वक्ता को समाज के धार्मिक और आध्यात्मिक विकास के लिए आमन्त्रित करती है। इन दस दिनों में सभी जैन बन्धुओं का एक मात्र उद्देश्य रहता है धर्म की आराधना तथा ज्ञान की प्राप्ति । संवत्सरी के दिन सामूहिक प्रतिक्रमण बड़ी श्रद्धा से किया जाता है। सभी जीवों से क्षमापना की याचना की जाती है। तपस्वियों का बड़े भावपूर्वक अभिवादन होता है। समिति के सदस्य हर एक तपस्वी के घर जाकर उनकी सुख शान्ति की अभिलाषा करते हैं । समूह पारना के दिन सम्पूर्ण समाज एकत्रित होकर तपस्वियों का अभिनन्दन करते हैं और उनकी तरह तपस्या कर सकें ऐसे आशीष की याचना करते हैं। समाज की बुजुर्ग महिलाएँ, तपस्वियों के लिए बड़े ही जतन से शरीर के लिए हल्का एवं आसानी से हजम हो सके ऐसा भोजन बनाती हैं। भारत में जबकि ज्यादातर तपस्वी अपने घर पर पारना करते हैं, सिंगापोर समाज के समूह पारने से मैं खास प्रभावित हुई । स्थानक की ऊपरी मंजिल पर सभी तपस्वियों के आसन लगाएँ जाते हैं। समाज के सभी सदस्य कतार में लगकर हर एक तपस्वी को पारना कराने का सौभाग्य लेते हैं। युवा पीढ़ी भी इन गतिविधियों में शामिल होती है, जो आगे चलकर इस परम्परा की धरोहर को संभालेंगे। दिवाली और Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नूतन वर्ष दिवाली महावीर प्रभु का निर्वाण दिवस है। इस दिन स्थानक में ' भक्तामर स्तोत्र' का पाठ होता है। नये वर्ष का आरम्भ मांगलिक स्तोत्र गाकर किया जाता है, जिसके बाद सारे सदस्य एक दूसरे को नूतन वर्ष की बधाइयाँ देते हैं । पूजा : पिछले 18 सालों से हर रविवार को 'श्री भक्तामर स्तोत्र' का पाठ होता है। सिंगापोर के स्थानक में विविध पूजा की गयी हैं, जैसे कि नवगृह पूजा, सिद्धचक्र पूजा और भव्य अधर अभिषेक पूजा । सिंगापोर में स्थानक में भगवानजी की मूर्ति की स्थापना से हमारे देशवासी भाईयों का स्वप्न साकार हो गया । 752 :: जैनधर्म परिचय सिंगापोर जैन समाज की कुछ खास गतिविधियाँ सिंगापोर जैन रेलिजिउस सोसाइटी ने सबसे पहली एशियन जैन कान्फेरेंस का आयोजन किया। 1990 के मार्च महीने में आयोजित इस सम्मेलन का मूल विषय था 'विश्व शान्ति की तरफ ' । आचार्य सुशीलमुनिजी की छत्रछाया में, अध्यक्ष श्री नगीनभाई दोषी ने बड़ी लगन से इसका आयोजन किया। जब जनवरी 2001 में भुज में भूकम्प हुआ था, तब सिंगापोर समाज ने बड़ी फुर्ती से अपनी सारी शक्तियाँ कार्यरत कर दीं, ताकि अपने देशबन्धुओं की मदद कर सकें। सिंगापोर जैन रिलिजिअस सोसाइटी ने सिंगापोरे के कैन संगठनों से मदद मांगी। For Private And Personal Use Only
SR No.020865
Book TitleJain Dharm Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhprasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2012
Total Pages876
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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