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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अपेक्षाओं/आवश्यकताओं की पूर्ति की है। कोश- लेखन की यह परम्परा प्राचीन काल से आज तक न्यूनाधिक रूप में निरन्तर गतिमान है। सहायक ग्रन्थ सूची 1. संस्कृत प्राकृत जैन व्याकरण और कोश की परम्परा - आचार्य श्री मघवा निर्वाण शताब्दी महोत्सव व्यवस्था समिति, सरदार शहर, राजस्थान, द्वितीय संस्करण, सन् 1993 | 2. भारतीय संस्कृति के विकास में जैन वाड्मय का अवदान, प्रथमखंड, अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद्, ईस्वी सन् 1982 (जैन कोश साहित्य, पृष्ठ 177-190)। 3. प्राकृत साहित्य और भारतीय परम्पराएँ, प्राकृत अध्ययन ग्रन्थमाला 1, ईस्वी सन् 2010, ( प्राकृत कोश साहित्य परम्परा, पृष्ठ 389 - 403)। 4. अपभ्रंश हिन्दी कोश, सम्पादक- नरेश कुमार, प्रकाशक-मुद्रक - डी. के. प्रिंटवर्ल्ड (प्रा.) लि., नई दिल्ली, ई. सन् 1999 5. प्राकृत हिन्दी शब्दकोश, सम्पादक- उदयचन्द्र जैन, न्यू भारतीय बुक कारपोरेशन, दिल्ली 'अ' से 'न', प्रथम भाग ई. 2005, ('प' से 'ह' भाग 2 ) ई. 2005 6. वृहद् संस्कृत हिन्दी शब्द कोश, भाग 1-3, सम्पादक - उदयचन्द्र जैन, न्यू भारतीय बुक कारपोरेशन, दिल्ली, 2006 7. जैन पारिभाषिक शब्दकोश (हिन्दी संस्करण) मुख्य सम्पादक - युवाचार्य महाश्रमण, सम्पा. साध्वी विश्रुत विभा. जैन विश्व भारती, लाडनूँ, ई. सन् 2009 8. अहिंसा विश्वकोश, सम्पादक- नन्दकिशोर आचार्य, प्राकृत भारती पुष्प 284, जयपुर, सन् 2010 कोश - परम्परा एवं साहित्य :: 601 For Private And Personal Use Only
SR No.020865
Book TitleJain Dharm Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhprasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2012
Total Pages876
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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