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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 80. त्रि.सार-909-912-ति.प. 4/2498-2515-लो.वि. 2/31-32-हरिवंश पु. 5/469 470 81. त्रि.सार टीका गाथा-901 82. त्रि.सार-925-927-लोक वि. 3/1-5, 20-21 82. ति. प. 4/2567-2618-हरिवंश पु. 5/489-513-'द्विर्धातकी खंडे' 3/33 त. सूत्र 83. ति.प. 4/2762-2780 लोकवि. 3/41-43 हरिवंश पु. 5/562, 567-575 84. ति.प. 4/2788-लो. वि. 3/54-55-हरिवंश पु. 5/562-575 तत्त्वार्थसूत्र 3/34 85. त्रि. सार 937-942-लोक वि. 3/66-67 हरिवंश पु. 5/591-595 -ति. पण्णत्ती-4/2792-96, 2809-2814, 2920-2926 86. "तत्रार्धतृतीयद्वीपसमुद्रौमनुष्यक्षेत्रम्।।10। शास्त्रसारसमुच्चय 87-88. लोकवि.-4/1-2 89. त्रि. सार 965-हरिवंश पु. 5/646-लोकवि.-4/31 90. त्रि. सार-319 91. हरिवंशपु. 5/628-629-लोकवि. 4/13-14 92. त्रि. सार-320-हरिवंश पु. 5/632-लो.वि. 4/15 93. त्रि. सार.323-हरिवंश पु. 5/7, 30-732 94. त्रि. सार-324-हरिवंश पु. 5/730-733 95-97. त्रि. सार-325-331 98. लो. वि. 1/17-20, 30, 41-45 99. त्रि. सा. 943-946 लो. वि. 4/60-65 हरिवंश पु. 5/686-697 100. त्रि. सा. 947-960-हरिवंश पु. 5/628-629 लोक वि. 4/68-87 101. त्रि. सा. 966-977, 984-985-हरिवंश पु. 5/647-682 लो. वि. 4/32-54 102. हरिवंश पु. 5/683-685 103. त्रि. सा.-779-781-हरिवंश पु. 5/56-63 त. सूत्र 3/27-28 सर्वार्थ सि. वृत्ति. 418-420 104. त्रि. सार-882 105. त. सू. 3/31 सर्वार्थ सि. वृत्ति 426 106. त्रि. सा. 883 107. त्रि. सा.-786-791-ति.प. 4/324-427-लोक वि. 5/5-34 हरिवंश पु. 7/64-110 'त्रिंशत् भोगभूमयः'।12।। शास्त्रसार समुच्चयः 108. त. सू. 3/37, सवार्थ सि. वृ.-437, त्रि. सा. 882-883, लो. वि. 5/138-144, शा.सा. समु/11 109. त्रि. सा.-913-924, लोक वि. 3/52-53 जंबूदीव प. 10/47-86 110. जंबूदीव प. 11/186-192 हरिवंश पु. 7/115 111. त्रि. सार-324, 884 112. ति.प. 1/138 जंबूदीव प. 11/106, लोक.वि. 1/6 113. सर्वार्थ सि.-443, शा.सा.स./29, त. सूत्र/4/1 114. दशाष्ट-पंच-द्वादश विकल्पाः कल्पोपपन्नपर्यन्ताः 14/3 || त. सूत्र 115. सर्वार्थ सि. वृ. 449, त. रा. वा. 4/4, 1-10 116. भवनेषु बसनशीला: भवनवासिनः त.रा.वा./4/10/1/216 117. त.सू. 4/10 558 :: जैनधर्म परिचय For Private And Personal Use Only
SR No.020865
Book TitleJain Dharm Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhprasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2012
Total Pages876
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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