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देखना, युद्ध तकनीक, शस्त्र-संचालन आदि सेना के सभी क्षेत्रों का प्रशिक्षण दिया जाता था। आजाद हिन्द फौज की अस्थाई सरकार के नौ विभागों में नारी कल्याण भी एक विभाग रखा गया था। वह विभाग लेफ्टिनेंट कर्नल व रानी झाँसी रेजीमेंट की कमांडेंट लक्ष्मी स्वामीनाथन् (श्रीमती लक्ष्मी सहगल) को दिया गया था। तत्कालीन लोकप्रिय
और प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. प्राणजीवन मेहता की पुत्री रमा बहन और पुत्रवधु श्रीमती लीलावती बहन आजाद हिन्द फौज की 'रानी झाँसी रेजीमेंट' में सम्मिलित हो गयी थीं। 'जैन सन्देश', राष्ट्रीय अंक (23 जनवरी, 1947) ने श्रीमती लीलावती बहन और रमा बहन की कहानी उन्हीं के शब्दों में प्रकाशित की थी, जिसे हम यथावत् साभार यहाँ दे रहे हैं___ श्रीमती लीलावती बहन-जब ब्रिटिशों ने रंगून छोड़ दिया और जापानियों ने रंगून पर अधिकार जमा लिया तब कुछ समय के लिए अन्धाधुन्धी मच गयी थी। कई मास तक भारतीय स्त्रियाँ घर से बाहर नहीं निकल सकी थीं। हमने अपने मकान पर एक बोर्ड लगा दिया था जिस पर लिखा था कि-"इस घर में महात्मा गाँधी, पं. जवाहर लाल नेहरू तथा अन्य भारतीय नेता आकर उतरे थे। इस घर में नेशनलिस्ट भारतीय रहते हैं।" इसे पढ़कर जापानी सोल्जर हमें कभी किसी भी तरह से हैरान नहीं करते थे।
श्री सुभाष बाबू ने मलाया और बर्मा में 'आजाद हिन्द फौज' और 'झाँसी की रानी रेजीमेंट' स्थापित करने के लिए भाषण दिये, तब हमारा सारा परिवार उनके भारतीय स्वातन्त्र्य संघ में सम्मिलित हो गया। 21 अक्टूबर, 1943 को बर्मा और मलाया में 'झाँसी की रानी रेजीमेंट' स्थापित करने का कार्य पूरा हुआ। रंगून में 10 बालकों को लेकर मेरे हाथ से कैम्प का उद्घाटन हुआ था। जब रात-दिन बम वर्षा होती थी तब भी आवश्यकता होने पर हम खुले मैदान में हथियारों के साथ सुसज्जित होकर खड़ी रहती थीं। हम घायलों की सेवा-सुश्रुषा करने और अस्पताल ले जाने का काम करती थीं। मेरा मुख्य काम सबेरे 11 बजे से शाम 5 बजे तक घर-घर जाकर स्त्रियों, लड़कियों और पुरुषों को आजाद हिन्द फौज में सम्मिलित होने के लिए समझाना था।
रमा बहन-"हमारा कैम्प मिलिट्री कैम्प था। उसमें हमें प्रत्येक प्रकार का शस्त्रसंचालन और अनुशासन-पालन सिखाया जाता था। झाँसी की रानी रेजीमेंट में दो विभाग थे। एक युद्ध विभाग और दूसरा नर्सिंग विभाग। युद्ध विभाग में हमें मिलिट्री ड्रिल, रायफल के प्रेक्टिस, पिस्तौल चलाना, टोमीगन चलाना तथा मशीनगन चलाना सिखाया जाता था। मोर्चे पर आक्रमण करना और आत्मरक्षा करना भी सिखाया जाता था। नर्सिंग विभाग में उक्त शिक्षा प्राप्त बालकों को रखा जाता था। ___ हमें घायलों की दवा-दारू और सेवा-सुश्रुषा करना सिखाया जाता था। हमें घंटों खड़े रहकर घायलों की सेवा करनी होती थी। प्रायः सभी बहिनें कैम्प में रहकर काम
130 :: जैनधर्म परिचय
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