________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir थोवंचइन्द्रेवयायुश्च दत्रत्धारयन्यो सत्यौयसुबननाय वसुधानायच वौतांपिवतामाजस्य करू मंशत्वमपि हे होतयज // 38 // देवीऊर्जाहतो। येदेवौदात्यौ ऊर्जाहुतौऊर्जावान्यो दुधेदोग्ध्यो मुदुधेसु दोड़नेपयसा इन्द्रवयोधसं देवौदेव्यौयस्थानेदेवंदुस्थानम् अवई ताम् / तेपंक्त्याछ। देवोजोष्ट्रीव्वसुधितोदेवमिन्द्र्चयोधसन्देवीदेवम॑बर्द्धताम्॥ बुहत्त्या / च्छन्दसेन्ट्रिय श्रोत्वमिन्टेवयोदर्धवसुवनेव्वसुधेयस्यब्वीतांय्वज॥ // 38 // देवोऽऊर्जाहुती॥ देवोऽजुर्जाहुतीदर्धेसुधेपयुसेन्ट्रॅव्वयो धसन्देवीदेवम॑वीताम् // पुयाच्छन्दसेन्ट्रियशुकमिन्द्रुब्वयोदधहसु, / वर्नव्वसुधेयस्यब्बीतांय्यज // 38 // देवादैव्या // दुवाटैव्व्याहोतारा। न्दसा इन्द्रियंवौर्यशक्रौंच इन्ट्रे वयायुश्च दधत्धारयन्त्यो वसुवननायवसुधानायच बीतांपिवता है माज्यस्य स्वमंशत्वमपिहेहोतर्यज // 38 // देवादेवया। यौदेवी दातारौदैवयोहोतारौ। अयंचानिरसौचमध्यमः। देवंदातारमिन्द्रं वयोधसमायुषोधारयितारम देवौदुप्रस्थानी देवंदुप्रस्थानम् / For Private And Personal