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न.|| युग कहिए सो० तेमाटे निः मुक्तिने ज्ञानपणा ना नपांमे ६ अ. वारंवार को क्रोधी होएक्रोथ फ दीर्घकासेक्रोधने अथवा विकथाम अ.११ एलच सोनु ॥ निवाएंच नगबइ ॥६॥अलिरका कोहीहवाये- पबंधचपकुबइ . चली एक करे. मित्मसोजे साधु नेसुमतिएकरतोधको ते मित्राईने गंमे एनसे कृतनपाए ३सीधी सिद्धांतना ज्ञाननेसा असला
मितिघमागोवमई सुयंसहामध॥५॥ पामीने म अलंकार करे। अविपा | बना पच पोताना अपराधने अ. परनेमायै घासवाना स्वत्लाव जेनो अ० सलावनाएं सु.अतिहेप्रियकारी अ. पदामित्रने र एका व परिरकेवि अविमित्तेसुक्क्रप्पड़ मि. मित्रनुपरेकोधकरे सुप्पियस्सा विमित्तस्स रहे त्लान बोलेपारलूमो - प.असेंब लापा उ. डोही ० थ. अहंकारी सु० सोलपी अ. अजिनेडी १२ अ.अन्यसाधु लास पावगं ॥८॥ पश्णवाहि उहिले हेसुद्धे अणिग्गहे असंवि नो संपिलागनकरे अ अप्रतीतकारी अविनीत ३० एडयो कहिएं अ० हवे पनर पानकें ... सुरू लागी अवियत्ते अविणिएतिवुचई ॥ ॥ अह पन्नरसहिंगणेहिं सुवि मो विनीत ३९ इनकहिएं नी गुरुयकीनीचेआसने अगतिचपर थानक चपष र त्लाषाचपल ३ लावचपलपपारहित अ० मायाकपटरहिन |एर पिएंतियुच्चइ नीया वित्ती वैसे अचवसे अमाईअकुतुहसे ॥१॥३कुदहसपएारहिन कुद
हेसजूएनाह १०
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