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काननी
उत्त-|| अन् तत्त्वनो अ अधिनित इ. इम कहिए ३ जन्जेम सूरु कूतरीको
ह्यामिक काढीने स सर्व धानकथी जिहां पर अजाए
जाएतिहां कोई पेसवा असंबुडे ॥ अविणि इतिवुच्चई॥३॥ जहा सूएीपूइकन्नी । निक्कसिधइ सबसो ॥ नदे एक एणे दृष्टांत दु अविनीत मुक मुषभरि निरुका भसी ककएना च बांमीने प० मत्यनीक रीजेनो ने मुषरी संपदाथी ५ कएसमाने
असंकारे। एवं . इसीखपमीपीए । मुहरी निक्वसिद्य॥ ॥काकुंमगं चइत्ताए ॥ वि०विष्टाने नुः भोगवे सूत्र एक एपी सी विनयने असं श्य विनयने रख रनिपामे मिन्मृगपशुसमान सुरु सांपाए सूयर परे. जामीनें कारे. विषे राचे विनित्त५ भतीने विवंचुंजइ सयरे एवं सीखंचइत्ता ए इस्सीसे रमई मिए ॥५॥सुणि भा. दृष्टां सात कूतरीनो चीजो सु ना बीजो अविनित विच बलि पिनयने विषे अस पोताना इ. वांबतो हि हिन पो
अरनो२ मनुष्यनो ३। थापे आत्माने यको तानाआत्माने | २ या भाव ॥ सागस्स॥ सुयरस्स नरस्सय ॥ विगए नविध अप्पाएं।तो हियमप्प
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