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पा० राजानाम गि
घरने विषे 9
दिरनेविषे पासाएस गिहेसुय ॥ तक तिवारी म
नमीराजा प्राजमिथिला का० कोजाहलेंकरी व्यापितचे सुच् सालसे द्वा० हृदयने मनने उद्वेग १३ नगरीने विषेशब्दे केहवी एहवा कारी शब्द
बे
ते
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॥
मिहिलाए ॥ कोलाहलगसंकुला सुचंति दारुणासहा ॥ ए. पूर्वेको नि० साली हे ० हेतु मानसा सोकने का० तेपरजीवने जेहथी प्रेष नृपजे विचारीने दुषनुहेतु ताहरी दीक्षा नेतोपरिभ्रम एानो कारएाएवेमेरी ७ ॥ एयम निसामेत्ता हेन arrest | तनुं नमिरायरिसि ॥ दे० देवतानी इंद्र सकेंद्र ते प्रते इमबी मि० मिथिला के उद्यानमा सी० सीतल बाया म० मनने रम प० पानमेकरी पुन्फूले तो ॥ ८ ॥ नगरीने विषे • वृत्त फूतो बे जेनीएवो एक कफकरीसहित सीयबाए मणोरमे पन्तपुष्पफलोवे ही इलावतोयको चे बननेविषे म मनोरम दु० दुनिया
देवीं दो इम्मेववि ॥ ८ ॥ मिहिलाए चेइएवढे
वा वायरे
'ब० पंषी प्रादिक घरगा जीव बघा गुनो' कराहारफूती स० सदाएं
करी
वृन्द
ए ॥ बहूणं बहुगुणोसया ॥ ९५ ॥ बाए। हीरमाएांसि चेइयंमि मनोरमे दुहिया
अ.
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