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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - यितिच्याश्रीआदि सहित सन्यानुषं पूर्वं थाए निबारे अंतसहित ३२ बाट वरस' बार आनुषानीस्विति सनत्क्रष्टीवि कही अ६ || निश्पमुचसाश्या । सपद्यवसियाविय ॥३२॥ वासासूबारसेवजे। नकोसेराविया बे. बेंडीना आनुषानी स्थिति अं अंतर्मुशर्त मन्जघन्यस्विति १३३ स.संख्याताकास भूननक्रष्टि अं अंतर्मुशर्त | हिया । बेइंदियानदिई । अंतोमुतत्तंजहलिया ॥१३३॥ संवेद्यकासमुक्कोसा । अंतोमुत | ज जघन्यास्चिति बे० बेंडीकायस्विति ,न ते चंडीनीकायअपामूकनोयको ३४ अ. अनंनाकाप्नुनन्ननकोबांना अंत जहन्निया । बेदियकायविई। तंकायंतुअमुंचन ॥३४॥ अणंतकासमुक्कोसं । पके अंतोमा मत ज. जघन्य बेदीजीवने बेंडीपणुंपामबानुएतसु आंतरुपमे विकमुनीरथंकरें१३५हवेत्नावपीकेएल एबेंडीजीवनात्नेदयत्व उत्तंजहलयं । बेइंदियजीवाएं। अंतरेयवियाहियं ॥१३५॥ एएसिवन्ननचेव का गगंधवीरसयीफरसयी सं-संस्बाननाल्नेदपकी पण विच लेदना हजार रुपये तेंदोऽव्ययीकहेडेते. तेंडीजीव गंधरसफासने । संगणादेसनवावि । बिहागासहस्ससो ॥३६॥ नेइंदियानजेजीवा। ०बेप्रकारत्त० तेकड्या प. पर्याप्ताअपर्याप्ता ने सेना लेद सु० सालसमुजनेकहता ३३ कुंकुंयाकीमीदसानडीनीजानि ||५५७ विहातेपकित्तिया । पजत्तमपजत्ता। तेसिलेएसुरोहमे ॥३७॥ कुंयुपिपिविनइंसा। । उविहातेपकित्तियाप. पर्याप्ताअपर्याप्त । बिहागाईसहारमा हवे तेंदीदव्यधीक पासवाननचेवर For Private and Personal Use Only
SR No.020853
Book TitleUttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKhetsi Jivraj Shah
PublisherKhetsi Jivraj Shah
Publication Year1895
Total Pages447
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size23 MB
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