________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मानिक
कृष्णालेस्या नारकीना ३३ सागरनपर अंतरमुर्न अधिक अस तेजोध पदम
सकस
नहि अने देवतानी पसेस्या १८ सागर अंतरमुर्न अ. जपल्यनामालागा
धिक ६ अने शुक्ससेस्या ३३ सा. अंतरमुक्त अधिकसा नारपल्यासापर्व
मारे पाबसा लवनी सेस्या अंतर्मुलन गपीएतो नारकी देव ए बेत अंतरमात पन्योपममयम तेजूनी नाचिसापानी नथिएका ने अंतर्मुझर्ने अधिक कहोजोशए इति ॥ १२ अयिनुत्तर देवलोकें मयअन्त्रीजेदेव समयअबदीदेव
नत्तसध्यपन ३५ मुं मुक्ताई तुजहन्ना ए गाया ३४ मीथी मां२सागरपयनोऽसी १० सा अधि३३ सागरतर मीने ५५ मी गाथा सधी स्यानो यंत्र ॥१॥ जुध्यातमीमागबीने क ५ में देवलोकें मुहर्त अधिक । देवलोके
उतन्यापक
प. पल्यनु अ.असंव्यातमो हो होश्तेजोलेस्यानी यिनि हवे वैमानिक दा दससहस्त्र
ने लेजोलेस्यानीपिनिजब्जय माग अधिक आत्रीने कहेडे ५२
न्य ए लवनपनीनी अनेव्य- ०२२ पलियमसंरवेघेणं । होइलागेएतेनुए। ५२॥ दसवाससहस्साइं।नेनुएपिजहनियाहोई।
For Private and Personal Use Only