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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अधिकार संपूर्ण हवे बीजूं मुक्तीनं कारण दरसन समकित वर वेळे ए० एकष्टांत एकहेतु सीषवेकरी प्र० घणापद हेतुऽष्टां- अ. ५८ ३१२ एगेएमएोगाई ॥ पयाई जोपसरईन सम्मत्तं ॥ नादिकनेविषेजो。 जेपसरे एमहिज जथाष्टांतें वे बीजी रुचि एक एकजीवादिकपदेकरीतथा नन्नदकनेविषे जेमति सौ० तेबीजी रुचीनो घणी ना० जाएावी एडीज घएानीपजे नेमारे बीज नृदएबतिघ्त्रबिंदू ॥ नेखनोबिंदू पसरे तेम सोबीयसइतिनायवी ॥ २२ ॥ रुचिकहिए हवेलिंगम रुचि सोते होए लिगम रुचीनाघणी स० श्रुतज्ञान जेणें सोहोइअलिगमरुइ ॥ सपनाएंां जेा नंदिवं ॥ इकारसमंगाई || पन्नुगं दिवि तथा तत्कालिक दिन दृष्टिवादते बारमंत्र्ांग | हवे विस्ताररुचि द० धर्मास्तिकायादि बद्धव्यना सन्गुएा | सर्वं सर्वममाते मत ममा २ आगम | वाजेय ॥ २३ ॥ नृत्कालिक वसी दवाएं सङ्घलावा ॥ पर्यवादि ० अथ दीगे इ० इग्यार अंगकासिक पर पन्नाकासिक सबप्पमाणेहिंजस्सनुववधा मापकरीव प्रमाएाउ नृपमान स० सर्व नयनी विधेकरीने 9 नयतेएनैगमनय १ संग्रहनय २ व्यवहार नय ३ रुजूसूत्रनय ४ शब्दनय ५ समलिरूढनय ६ । नेजाण्यामवरते. सच्चाहि नयवितीय ॥ विचारइति नाय ॥ २४ ॥ एवंलूतनयउ सर्वसूत्रार्थविस्ता र जाणे वि० विस्ताररुचिनो घणी दं० समकितनेविषं ना० ज्ञाननेविषेचारित्रनेविषे तमविषे सच्सत्यमतिज्ञानेविषे सन् सुमतिनेविषेत्रएागुप्तिने ३१२ ना० जाए वो २४ दंसाना चरित्ते ॥ तपनेविषेविनयने- तवविएाए सच्चसमिझगुत्तीस ॥ विषे ८ For Private and Personal Use Only
SR No.020853
Book TitleUttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKhetsi Jivraj Shah
PublisherKhetsi Jivraj Shah
Publication Year1895
Total Pages447
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size23 MB
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