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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir न. स. सर्वजीवादिक भाव पदारथने वि० प्रकासनोकरएाहारएवो पो० पावसीपोरसीना चच् चोथा लागबेघमीनेविषे वं० बांदीने तिवारी २९० स नाव विलावणं ।। ३७ ।। सशायकरे. ३३ पोरसीए चनुझाए । वंदिताएंणं तर्जगुरु एक निवरतावीने का सशायनाकासने सि० थानक पाट प्रमुष वस्त्रादिकने पहिले हे | पा० लघुनीति नुष्वकी नीति लूमिने पढे पनिले जनता परिकमित्ताकालस्स । सिद्यंतुपरिखेह ॥ ३८ ॥ २८ पासवानुच्चारनुमिंच । परिसेहिबज वंत धको जती का० कानुरसम्म त सामाग्रक व्यावसकना सूत्रपालएयापी का० कानुरसम्म करे इनामियां• लते तुझेहि अफ नमो मरिह यंजई ॥ कानुस्सग्गंत कुवा ॥ करेमिलने इवामिकानुस्सग्गो तस्सुन्तरी करणेएांए ५ सूत्र सच्सर्वदुख नामूकावा हारडे कानुसग्गकानुसग्गमा हे चिंतेतेकहेबे ३५ दि० दिवस संबंधी पूर्णेच्यतिचारने चिंचिंतवे प्र० अनुक्रमें यारं चिंति ना० देसियंच सब रक विमुरकणं ॥ ३५ ॥ एचसो ॥ ना प्रथम ज्ञाननेविषे दं० दरसनसमकितने विषे संकादिक बसी च० चारित्रने विधे साधुने ५ महाव्रतने २५ लावना देसवृत्तिने ज्ञानना।४।१२ वृत ७५ संसेमि दंसपांचेव चरितंमि तहेवय ॥ ४० ॥ पना ५ पांच एवं श्रावकने ए ए तिमजपा० पारीने का० कानसम्म जि | नवे विषे संस्तव करवी दसविकालिकनी साथ नमोकारेएापारिता जिनसंधव ते लोगस्स चोदि संञ्चो एबीजी आवश्यक परिसेहएाकीधी लूमीप- २१०० किसेहीने सर्व संबंधी गमागमण परिक में एब ६ आवस्यक पुरयकी तो विष के तसोक कहे वे मने सूत्रपात ते आवस्यक सूत्रयी जाए। For Private and Personal Use Only म. २६
SR No.020853
Book TitleUttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKhetsi Jivraj Shah
PublisherKhetsi Jivraj Shah
Publication Year1895
Total Pages447
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size23 MB
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