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उक्त
काषाए
| न पचावेनही परभ्याहे. २ का कामनी फ देग सत्तेहनोमध्य नाग तेयो अगर नेसरीरनो अंगवे जेहनापां || अ-२ नपए नपयावए ॥२॥ कासी जाग पड़ग संकासे पातलो. किसेधम्मपिसंतए । तलाअथवा काकाकजंघा वनस्पतिनी गांर असं सरपा बचएगप्रमुष जेहना कि सरीरेडर्बसाधनसाजलेंकरि संव्याप्त के मान मर्यादानो जाएामन्मन जेनो एवोयको प्रवर्ने ३ हवे तृपानो परिसह कहेजे.अ. आहारपापीनोनयीदीनान तिगरपगफर मायन्ने असएपाएस्स ॥ अदीएमएसोचरे ॥३॥ तने पुरोपिवासाए दो अपाचारनी पुगंबनो करपहार संच संजती सीन्सचित्तपाएगीने सेवे नहि
च प्रवर्ने । बिक बेदागो दोगुबीसधं संजमनीसाजधरनो संजए। सीनंदगंनसेविद्या ॥ वियमंसेसएंचरे॥४॥ बिन्ना बें आलोकना आवागमनने पं.पंयनेविषे आ. अत्यंत आकुसव्याकुल शरीर थाएजेनो पि अतिहे दृषात खाएक जिला एवा पंथेस आनुरेसप्पिवासिए. . पर अतिसुकाएगो तं तृषाने सहे परिसडने ५ ढवे सीतनो परिसहकडेच ग्राम यादकाना भारत
माथीनिवार्ने खुपोशरीवेजे मुष जेहनो
दिकने विषे प्रवर्तता साफने 'नो एवा साधन. परिसकमुद्दादीणे॥ तंनिस्के परिसहं ॥५॥ चरति विरयंह
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