________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
उत्तीर्थकरनासाधुपु आन्पार दोहिलोपाली का आचारमध्य तीर्थकरनासाघु सुरु अतिहे निर्विचारपणेरूषेपा० पालिसके तेत्मपी |अ.२३ २५१| पंपुरएपालन सके कप्पोमशिमगाएंतु ॥ सविसशोरू पाखन २७ मध्यतीर्थकरना |
साधुना सावलतीगौतम प्रज्ञाबुद्दि तुमारी बिच टाल्यो माहरोसं संदेहराएपूर्वकटोते अनेरोपण संन्संदेहमारी तंत्र महाव्रतरूप २७ सात गोयमपन्नाते ॥ बिन्नोमेसंसने श्मो ॥ अन्नोयि संसन मशं। नी तेमुझनेकहो गो हेगौतम २८ हवेलिंगहारकेसीगौतम अ० मानोपेत घोलावस्त्रनोपरणहार मोजे एपारसनायनासंतानीया मे केहरूगोयमा ॥२८॥ मतें कहेले अचेलगोय जोधम्मो अचेलपर्मएजे जोइमो संतसत्त सं० मानोपेतयारहित बस्नना घरणहारने लपीअंतरसहित मानोपेन घोखां वस्त्रनापरणहार या वर्धमान स्वामीएं पाश्रीपान रो देसिने श्रीमहावीर देवनो साफतेसंघाने अंतरदीसे देव अचेवधर्म नपदेस्यो वडमारोएं। पासे रसनाथम महामुनीएं मानोपेतरहिनवस्मरूपधर्म ए मोरुपोचवानी नपराजपाकरयानो ए कार्यपपरिवाजेनेतुं किं किंसकार
एय महामुणी ॥ २५ ॥ नुपदेस्यो २ एगकधपवनाएं ॥ सरषो विसेसे चौरमोफेरनैकिंतुकारणं एजेएवीवि लिगलिगयती ७० वेप्रकारें मेक हे बुद्धिवंत क० किम विस्मय तुमनेनयी उपजतो ३० केन्केसीएऐप्रकारेबोलेंगतेबोलताप|| २५१ || चारणानुपते सिंगे नोचेष फुविहे मेहावी ॥ कहं विप्पच्चनते ॥ ३०॥ केसी एवं बुवाएतु।
For Private and Personal Use Only