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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नः पुत्र पुनना शोकेसरी कुकुरपीआयन लेमातायें नयूकाव्यो मोच मुमने एक एबुं महारुं अनायपएफ २५ ला- लाइमहारा| ऋ२० पुत्तसोग हचिया ॥ नयपुरका विमोयति ।। एसामा अपाहया ॥२५॥ नायराम हे महाराजा सेगा एकन्दरना जपना महोटातथान्हागइला गए रवयी न मूकाव्यो ए एवंमहारं अनाथ महारायं ॥ सग्गा जेडकणिछगा । नय वा रिमोयंति॥ एसा मऊ अएा पए २६ . भगिनी बहेन महारी हे महाराजा सा एकचदरनी उपची महोटी हानी हत्ती तेऐमुमने उठस्वयको नमूकाव्यो हया ॥२६॥ लइएगीन मे महारायं ॥ सम्या जेबकारोडगा ॥ नयपुस्का दिमोयंति॥ एक एमहामं अनायपणं जापा २७ लावलार्या महारी हे महाराजा महारीहरे अत्यंन अनुरक्त प्रेमवत्तीपतिब्रता अन्य ऐसामझ अगाहया ॥ २७॥ मारियामे महाराय॥ अफरत्तमएचया ॥ दलील अंस सुएं पूर्णत्नरेसी और करीना हैयुमहारु सिंचति लींजवती इवी २८ अ अन्नपायी एहार अंघोस चूवाचंदनादिकाग सुगंधव्य . पुन्नेहि नयरोहिं । नरमे परिसिंचई ॥ २८ ॥ अन्नपाणंचएहाणंच ॥ बली गंघमास्तवि मासाचंदनादिकनुविनैपन मन्मुझनेमापाताअधिवाला सात तेवौवनस्त्रीनोव्नलोगवे २० स्वर क्षणमात्रपणहेमहाराजापाक पासेंधी |२१५ सेवणं ॥ मए नायमनायवा ॥साबाला नोवलुजई॥२५॥ खपिमेमहारायं पासान। For Private and Personal Use Only
SR No.020853
Book TitleUttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKhetsi Jivraj Shah
PublisherKhetsi Jivraj Shah
Publication Year1895
Total Pages447
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size23 MB
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