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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir न हवेमुनिकहे। न० तमेनथीजाएता अ अनाथपणानोअर्यनुत्पत्ति अब पन्हेराजा जन्जेमअन्अनाय होय अथवासनाय अ२० .नतुमं जाणे अगाहस्स ॥ अबंपोउंचपबिवा ॥ जहा अएगाहोहवई ।सएन होयद न० नराधिपं १६ सु सांत्मण मुझकहेताथका हे म०महाराजा अ अव्यक्तसावधान चे चित्रेकरी जजमेमनापहोय । होवानराहिवा ॥ १६॥सणेहमेमहारायं ॥.. अवरिकत्तेगचेयसा ॥ जहाअगाहोल .. ज. जेम में प्ररूप्यो . १७ को कोसंबीनामें नगरी ते पु० घपाकासनाकपनान ले लेदनेनुपरजाववैकरीना वई॥ जहामेय पवत्तियं ॥ १७ ॥ कोसंबीनामनयरी ॥ पुराणपुर गरतेना लेयणी ॥ तना निहांकन पिता महारो प० प्रलूतधन संचय एनाम पित्तानु १८ प प्रयमयौवनययनेंविष मन्हेमहाराजअ अतुस्यसपमारहित अन् सी पियामशं । पलूयथासंचने ॥१५॥ पट्टमेवए महारायं ॥ अतुसामे अधिवेयएा आरचनेविषेवेदनानुपनीयफविस्तीर्ण खान्दाघज्चर स सर्वशरीरनेविषे पन्हें पार्थिवेराजा १९ सशस्त्रजेम पत्र अहोचा नेवेखाएं विनुसो दाहो ॥ सत्वगत्तेस पत्निवा ॥१९॥ ॥ सद्धं जहा परम नि तीक्षा स शरीरनाविचर कानप्रमुरवमाहे आप्पीअन्धेरी कोप्यो अच्चैरीकोप्योयको एक एवी महारी अ. आरखमां | २१२ निरकं ॥ सरीरविवरंतरे ॥ श्रावी-सिका थको अरीकुछो ॥ एवंमे अचि || For Private and Personal Use Only
SR No.020853
Book TitleUttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKhetsi Jivraj Shah
PublisherKhetsi Jivraj Shah
Publication Year1895
Total Pages447
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size23 MB
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