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उपहार
मालाटो,
॥एएए॥
॥ इति श्रीधर्मदासगणिविरचितं श्रीनपदेशमालाप्रकरणं समाप्तं ॥ श्रीरस्तु
॥ति श्रीरामविजयगणिविरचिता श्रीनपदेशमालाटीका समाप्ता॥ ॥ आ ग्रंथ श्रीजामनगरनिवासी पंमित श्रावक हीरालाल हंसराजे स्वपरना श्रेयमाटे पोताना प्रेसमां गपी प्रसिह कर्यो . ॥ श्रीरस्तु ॥
॥ समाप्तोऽयं ग्रंथः गुरुश्रीमच्चारित्रविजयसुप्रसादात् ॥
पए
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