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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir रा० २० जी०२१ प्रज्ञा०२२ ०२३ चं०२४ जं० २० नि० २६ प्रकी९२७ बारवई सोरट्ठा २२-११५ | बावतरं च चंदा २७-२०४९ | वीअवएणं सारूवि० २७-७८९ बारस चउवीसाई २२-२८२ | बावीसमाणुपुर्दिव २७-१७५९ | बीए जोणिम्भूए २२-२७ बारस चेव मुहुत्ता २७-४५९ बावीसं च मुहत्ता २५ (पृ० ५०७टी०) | बीएण विणा सस्सं २७-३४९ बारस मासा संघच्छरो २७-५१५ | बावीसं जोयणसयाई २७-१९९४ |बीयाए किड्या नाम २७-४८० वारसवि भावणाओ २७-१८७३ | बावीस सयसहस्सा २१-३६ | बेइंदिए णं० उव्व० नेर० उच? बारसविहम्मिवि तवे २७-२३६४ | वाहंति इंदियाई .. २७-१४०२ २२-२६२सू० बालमरणाणि बहुसो २७-१०७ बाहिरजोगविरहिओ २७-११८ बेइंदिया पं० आहारट्ठी?' २२-३०७सू० बालमरणे अवार्य २७-१५९२ बाहिरभंतर उवहिं २७-१३७ .. केवइयं० टिइ २२-२७सू० | बालाए बुड्ढाए नत्तुय २७-७९३ बाहिंति इंदियाई २७-२१८ " , जीवा णाणा बंधंति ? याला किडा मंदा २७-४७८ बाहेइ इंदियाई २७-१५१० २२-२९७सू० बालाणं जो उ सीसाणं २७-७२५ विचउत्थ० एते वजिय भंगा २२-१९० | देईदिया णं पुच्छा २२-१०७० बावट्टि बावा? २१-६९ | बिचकत्थपंचछटुं० वीसेकवीस २२-२८८ इंदिया चउ० जहा०२२-१३२सू० २४-७३ बिचउत्थ० बावीसइमविहणा २२-२८९ |बे उदधिसहस्सा खलु बावत्तरं सय २५-(पृ० ५०८टी०) बिसरीरविलग्गेसु २७-९०९ | भगवंपि वइरसामी २७-१७०८ बावत्तरिकलापंडिया उ २७-११७६ बिलमूले वाहरंतेसु भट्ठायारो सूरी २७-७३७ बावत्तार च चंदा २४-५० बिटसमं सकडा | भणइ यतिविहा भणिया २७-१२५० २१-४६ | बिट बाहिरपत्ता य भण केरिसस्स भणिओ २७-६१७ वाह For Private and Personal Use Only
SR No.020842
Book TitleUpang Prakirnak Sutra Vishaykram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Pustak Pracharak Samstha
PublisherJain Pustak Pracharak Samstha
Publication Year1948
Total Pages183
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_index
File Size10 MB
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