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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूर्य०/२३ ०२४ - २७-२१९ ०२२ ॥५४॥ ووووة पुढधिकाइया आहारकम्म० २२-२१०सू० | पुण्णेहिं हायमाणेहिं २७-४९६ | पुब्वमकारियजोगा २७-१४०० पुद विकाइयाणं० अणंतर० २२-१५०सू० | पुण्णोवि जंबुद्दीवं पुब्वमकारियजोगो आहारट्टी २२-३०६सू० | पुत्तं जीवयऽरिट्टे जं. २५ केषाया २२-२८०सू० | पुत्ता चयंति मित्ता २७-५७९ २७-६२९२ नि० २६ केवाया २२-१०६० | , मित्ता य पिया २७-१८१७ पुश्वविराहियवंतर० :२७-१६९७ प्रकी०२७ केवायं २२-९६सू० पुनामधिजसउणेसु २७-९०२ | पुटवंगे सिद्धमणोरमे, २४-१९ पुढविदगअगणिमारु २७-७८४ पुष्फा जलया थलया .२२-८६ २७-१७६९ । | पुप्फाणं बीआणं तय | पुवाघरदाहिण २७-१७६७ पुढविदगाणं च रसं २४-२८ पुरओ वहति सीहा २४-१०२१ | वि० अनियाणो ईहिऊण २७-२२१ 10 २५-८८ | | पुर(कुरु) मंदरमावासा २१-३३॥ पुब्धि कयपरिकम्मो २७-११५ पुढवीं ओगाहित्ता २१-९ | पुरिसवरपुंडरीओ २७-५९० , कारियजोगो २७-१५१२ २१-१५सू० पुरिसवेदस्स णं भंते ! क० २७-२२० पुढवीकाइए णं भंते०२२-२६१सू० केवतियं० बंध० २ १-५८सू० कारिय० ताहे मलि० २४-१५१३ पुढवी य सकरा वालुया २२-१० पुरिसस्स गंभंते० का अंत०२१-५६सू० | पुटवेण होइ विजयं २७-१९१३ पुणब्वस्सूणा पुस्सेण २७-८७० पुरिसस्स भंते ! कालं ठिती २१-५४सू० | पुस्सऽस्सिणिमिगसिररेवई २७-८५७ पुण्णाई खलु आउसो २७-१४ | पुरिसे णं भंते ! पुरिसेत्ति २१-५५सू० पुरसायणे अ अस्सायणे। २५-१०५ पुण्णा य इकवीसा २७-११०६ | पुब्बभवियवरेणं २७-१७६४ | पुस्सो हत्थो अमिई २७-८७४ For Private and Personal Use Only
SR No.020842
Book TitleUpang Prakirnak Sutra Vishaykram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Pustak Pracharak Samstha
PublisherJain Pustak Pracharak Samstha
Publication Year1948
Total Pages183
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_index
File Size10 MB
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