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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir औ०१९ रा० २० जी०२१ प्रज्ञा०२२ ॥४९॥ सूर्य०/२३ चं०/२४ जं०.२५ नि० २६ प्रकी०२७ SXXXEMEENAWARA नाणंमि दंसर्गमि य नाणं सुसिक्खियवं नाणाईआ उ गुणा नाणाविधसंठाणा । नामाविहदुकवेहि य नाणे असगडताओ ,, आउत्ताणं नागेण य झागेण य , बजणिज्ज ,, विणा करणं , सञ्चभाषा नामेण चंडवेगो नारयतिरियगईए मियदधमपुष्यजिणिद मिसायरस दंतस्स निक्खममाणे सिग्धगह निखिला फासेयब्बा २७-१२२० | निगोदा णं भंते ! दबट्टयाए २१-२४०० | निमित्तेसु पसत्येसु २७-१३७४ । निग्गहियकसाएहिं २७-१८५६ | निमित्तेसु० सव्वकजाणि २७-१२३ २७-४ | निचलनिप्पडिकम्मो २७-१७६१ | निम्ममनिरहंकारा , २१-२ | निच्चं तिदंड बिरया २७-१२६१ | निम्ममनिरहंकारो २७-१५७७ २७-१५४१ | निच्चपि तस्स भाबुजुअस्स २७-६४० २७-२७११ २७-१७३७ निच्छिअमरणावत्थो २७-२८९ | निम्मलदगरयवण्णा २७-१२०२ २७-१३७१ | निच्छिण्णसब्बदुक्खा २२-२३१ | निरयगईणं केवइयं कालं २२-१२२सूर | निच्छिन्नसबदुक्खा २२-१७९ | निरयावलिया सुयखंधो २६-३१सू० २७-१३७२ २७-१२२९ निब्वाणसुहावाए २७-३३२ २७-१३८२ | निजारेयजरामरणं निसरगुवएसई २२-२२० २७-१३७५ निवित्र अट्टमयठाणे २७-७५२ निसढे माअनिवहरहे २७-६६४ निदलिअकलुसकम्मों | निसरित्ता अप्पाणं २७-२५८८ २७-६८० | निद्धन्नयं च खलयं निस्सलस्सेह महब्बयाई २७-४१० २७-३०६ निद्धं महुरं पल्हा० २७-४३२ | निस्संकिय निकंखिय २२-२३३ २७-१३१ | निफेडियाणि दुणिये । २७-१६६० निस्संधिणातणमि प... २७-१५८२ २४-१० निभत्थणावमाणंण २७-१८२८ विहण हण गिण्ह वह २७-२६२९ २७-१४२३ / निमित्त कित्तिमे नन्थि २७-९२० | निंदामि निदणिज २७-९४ -२६-५॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020842
Book TitleUpang Prakirnak Sutra Vishaykram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Pustak Pracharak Samstha
PublisherJain Pustak Pracharak Samstha
Publication Year1948
Total Pages183
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_index
File Size10 MB
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