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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूर्य २३ औ०१९ रा० २० जी०२१ प्रज्ञा०२२ -चं०/२४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ FREERALVEERXAXEXA जीहाए विलिहतो जुअलसिलासंथारे जुत्तस्स उत्तमढे जुत्सस्स० सुक्ख संथा० जुत्ते पमाणरइओ जे अणहिअपरमत्था जे अन अकित्तिजणए ,, उत्तरेण इंदा , कडुयदुमुप्पन्ना ,, कुम्मसंखताडण ,, केह नालियाबद्धा जेण विरागो जायह ,, विरागो. *२७-७२६ | जे पयणुभत्तपाणा २७-१६८० , पुण अट्ठमईया २७-६३० ,, गुरुपडिणीया "२७-६३१ ,, ,, तिगारबजढा २७-१५८४ ..: बदृषिमाणा २७-७५२ , सुयसंपन्ना २७-७६४ पोरगळा- अगिट्ठा २७-९५८ , मे जाणंति जिणा २७-१८९१ २७--१२६० | जोअणमद्धं तत्तो २७-२३९ | जोअणसहस्समैगं २७-२५३१ | जो अस्थिकायधम्म २७-१७१८. जो अ विमाणुस्सेहो २७-५७६ जो आरंभे वट्टा २७-१०९६ जोइसस्स य दाराई २७--९५७ | जोइसियाणं० देवाणं. २७-२३६५ | सियाणं पुच्छा देवाणं २२-१०१सू० २७-९९ | जो उप्पमायदोसेणं २७-७४८ | जोएसु किलामंति २७-१२७३ २७-१२८७ | जो कुंचंगावराहे २७-१६६१ २७-११४४ जोगा देवय तारग्ग २५--१०० २७-१९९१ | जो गारदेण त्तो २१-१६ | जोगों देवय तारग्ग २५-१२० | जोग्गं पायच्छित्त २७-१३६१ २७--१३५५ | जो जत्तो वा जाओ २७-८२७ २७-१४५७ नो जस्सा विश्वभो २७-२०१९ २७-२०१८ जो जिण? भावे २२--१२२ २७-१६० जो जोगओं अपरिणा० २७-१३४३ २२-१३१ जोणिसयसहस्सेसु २७-२८२७ २७-११२६ | जोणीमुहनिग्गच्छतेण २७-१६२१ २७-१३२६ | जोणीमुहनिप्फिडिओ २७-५३३ २४-१५ | जोतिसियाणं देवाणं २४-९८सू० २२-२३६सू०-जो तिहिं पपहिं धम्म २७--१६६२ जेणंतरेण निमिसंति जे सणवावन्ना | जे दाहिणाण इंदा ॥३३॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020842
Book TitleUpang Prakirnak Sutra Vishaykram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Pustak Pracharak Samstha
PublisherJain Pustak Pracharak Samstha
Publication Year1948
Total Pages183
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_index
File Size10 MB
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