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तुलसी शब्द-कोश
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समचर : वि० (सं०) । सबके प्रति समान आचरण करने वाला। विन० १६१.३ समचित : वि० (सं० समचित्त) । चित्त में समता रखने वाला, सभी स्थितियों में
अव्याकुल; स्थितप्रज, समत्वबुद्धियुक्त । विन० २६८.३ ।। समता : सं०स्त्री० (सं.)। (१) धरातल आदि की समतलता (विषमता का
विलोम) । (२) समानता, तुल्यता, उपमा। 'सिय मुख समता पाव किमि।' मा० १.२३७ (३) मानसिक समरसता, समत्वबुद्धि । (४) अभेद, भेदराहित्य,
एकरूपता (अद्वैत) । 'दीनबन्धु समता बिस्तारय ।' मा० ७.३५.४ समतूल, ला : वि० (सं० सम-तुल्य>प्रा० समतुल्ल)। बराबर तुला के योग्य =
उचित उपमान । ‘सीय समतूल ।' मा० १.२४७ 'ते सिर कटु तुंबिर समतूला।'
मा० १.११३.४ समत्थ : समरथ (प्रा.) । 'साहसी समत्थ तुलसी को नाह ।' हन०६ समदरसी : वि.पु. (सं० समशिन् >प्रा० समदरिसी)। (१) सब (सम) देखने
वाला । (२) सबको समान रूप से देखने वाला । द्वन्द्वातीत, रागद्वेषरहित, __ निर्द्वन्द्व । 'समदरसी मुनि बिगत बिभेदा।' मा० ७.३२.५ समदि : पूकृ० (सं० सम्मदय्य) । प्रसन्न करके । मा० १.३५४.१ समहक : वि० (सं समहक) । समदरसी। विन० ५७.४ समषी : समधी+ब० । दोनों समधी । “ऐसे सम समधी समाज न बिराजमान ।'
कवि० १.१५ समधो : सं०० (सं० सम्बन्धिन्) । वर-वधू के पिता परस्पर 'समधी' कहे जाते
हैं । मा० १.३०४.२ समन : (१) सं०० (सं० शमन)। यमराज, मृत्युदेव । 'समन कोटि सत सरिस
कराला ।' मा० ७.६२.१ (२) वि०पू० । शान्त करने वाला । 'समन सकल
भवत्रास । मा० ७ ९२ समनि, नी : वि०स्त्री० । शान्त करने वाली । 'कलिमल समनि मनोमल हरनी।'
मा० ७.१२६.१ जो कलिमल समनी ।' गी० ७.२०.४ समबल : वि० (सं.)। समान बल वाला । मा० १.२८४.१ समय : समय पर, से, अनुसार । 'सेवकु समय न ढीठ ढिठाई।' मा० २.२२७.७ समय : सं०० (सं०) । (१) काल, अवसर । मा० ७.५८.१ (२) अनुकूल समय।
'समय प्रताप-भानु कर जानी । आपन अति असमय अनुमानी।' मा० १.१५८.३ (३) प्रत्येक समय पर । समय सुहावनि पावनि भूरी।' मा० १.४२.१ (४) शपथ, प्रतिज्ञा । 'समय सँभारि सुधारिबी तुलसी मलीन की।' विन० २७८.३ (५) आचार, विहित पद्धति ।' 'भए कामबस समय बिसारी।' मा० १.८५.४
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