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तुलसी शब्द-कोश
रनरस : युद्ध वीर रस- वीर रस के चार भेदों (युद्धवीर, दयावीर, दानवीर और
धर्मवीर) में अन्यतम जिसका स्थायी भाव युद्धोत्साह होता है। युद्धोत्साह ।
'रन-रस बिटप पुलक मिस फूला।' मा० २.२२६.५ रनरोर : वि० (सं० रण-रोख)। (१) युद्ध में कोलाहल मचाने वाला।
(२) योद्धाओं को अतिशय रुलाने वाला। 'देव बंदी छोर रन-रोर केसरी
किसोर ।' हनु० १५ रनिवास : सं०पु० (सं० राज्ञीवास>प्रा० रण्णिवास)। राजा का अन्त:पुर । मा०.
१.२६५.१ रनिवासहि : अन्तःपुर में । 'मिलीं सकल रनिवासहिं जाई ।' मा० १.३१८.७ रनिवासा : रनिवास । मा० १.३५६.५ रनिवासु, सू : रनिवास+कए । मा० १.३३५; ३३६.७ रनी : वि.पु० (सं० रणिन्) । रणवीर । गी० ५.३६.३ रनु : रन+कए । युद्ध । 'रिपु जनु रन जए।' जा०म०छं० १७ रबि : सं०० (सं० रवि)। सूर्य । मा० १.११५ रबितनुजा : सूर्यपुत्री= यमुना नदी । मा० २.११२.२ रबिनंदनि, नंदिनी : यमुना नदी । मा० १.२.६ रबिमनि : सूर्यकान्त मणि । 'जिमि रबिमनि द्रव रबिहि बिलोकी ।' मा० ३.१७.६ रबिसुत : सूर्यपुत्र =अश्विनी कुमार (जो अत्यन्त सुन्दर माने गये हैं तथा देवों के
वैद्य हैं)। गी० ७.१७.११ ।। रबिसुता : यमुना नदी । गी० ७.१५.२ रबिसुवन : रबिसुत । गी० ७.८.१ 'रम रमइ : आ.प्रए० (सं० रमते>प्रा० रमइ) । रमता है, रत होता है, सुख
मानता है । 'जेहि कर मनु रम जाहि सन तेहि तेही सन काम ।' मा० १.८० रमन : सं०० (सं.)। (१) स्त्री का प्रेमी (जार) । (२) रमण करने वाला,
रत रहने वाला । 'आकिंचन इंद्रिय दमन रमन राम इकतार ।' वैरा० २६
(३) पति । 'रमा-रमन' । मा० २.२७३.५ रमनीय : वि० (सं० रमणीय) । रम्य, मनोहर, रजक, रमण योग्य । 'हरि
अवनि रमनीय ।' गी० ७.१६.२ रमा : सं०स्त्री० (सं.)। (१) (रमण देने वाली) विष्णु की शक्ति --लक्ष्मी ।
मा० २.२७३.५ (२) सीता (रामचन्द्र की महामाया शक्ति)। मा०
६.१०७ छं० रमादिक : लक्ष्मी, उमा इत्यादि । जा०म० १३१ रमानाथ : लक्ष्मी-पति = विष्णु । मा० ७.२६
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