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तुलसी शब्द-कोश
मेचकताई : सं०स्त्री० (सं० मेचकता) । लालिमा या नीलिमा । मा० ६.१२.४ मेट, मेटइ : आ०प्रए० (सं० म्लेटति>प्रा० मेट्टइ-म्लेट उन्मादे) । मिटाता है, मिटाये, मिटा सके। 'राम रजाइ मेट मन माहीं । देखा सुना कतहुं कोउ
नाहीं।' मा० २.२६८.७ मेटत : वकृ.पु० । मिटाता-ते । 'मेटत कठिन कुअंक भाल के।' मा० १.३२ मेटति : वकृ०स्त्री० । मिटाती । 'छाँह जेहि कर की मेटति पाप ।' विन० १३८.५ मेटनिहार : वि.पु. । मिटाने वाला । मा० १.६८ मेटब : भकृ०० । मिटाना (होगा, चाहिए)। 'बेगि प्रजा दुख मेटब आई।' मा०
२.६८.६ मेटहि : मा०मए । तू मिटा दे। 'अमिय बचन सुनाइ मेटहि बिरह ज्वाला जालु ।'
गी० ५.३.१ मेटहु : आ०मब० । मिटाओ, दूर करो। 'मेटहु तात जनक परितापा।' मा०
१.२५४.६ मेटा : भूक०० । मिटाया। मा० २.२१७.२ मेटाई : पू० । मिटा कर । 'चले धरम मरजाद मेटाई ।' मा० २.२८८ मेटि : पूकृ० । मिटा कर । 'बिदा कीन्ह 'सोच सब मेटि ।' मा० २.३१ मेटे : भूकृ००ब० । मिटाये । मा० ७.६.१ मेट्यो : भूक००कए। मिटाया। 'मैं-तें मेट्यो मोह तम ।' वैरा० ३३ मेड़ क : सं०० (सं० मण्डूक)। मेढक । मेड़ कन्हि : मेड़ क+संब० । मेढकों (को) । 'जौं मृगपति बध मेड़ कन्हि ।' मा०
६.२३ ग मेढ़ी : सं० स्त्री० (सं० मेढी-स्तम्भ>प्रा० मेढी) । (१) करधनी में दण्डाकार
आभूषण विशेष । (२) बालों की दण्डाकार चोटी । 'मेढ़ी लटकन मनि कनक
रचित ।' गी० १.११.२ मेढ़ क : मेड़ क । दो० ३९८ मेदिनि : सं०स्त्री० (सं० मेदिनी) । (मधुकैटभ की मेदा-चर्बी से बनी हुई) पृथ्वी ।
मा० २.१६२.२ मेधा : सं०स्त्री० (सं०) । स्मरण शक्ति ; धारणावती बुद्धि (जो एक विषय पर ___ एकाग्र होती है) । मा० १.३६.८ मेरवनि : सं० स्त्री० (सं० मेलना>प्रा० मेलवणा) । मिलाना, संगत करना
(बाँधना) । 'कटि निषंग परिकर मेरवनि ।' गी० ३.५.२ मेरिऔ : मेरी भी । 'मेरिऔ टेव कुटेव महा है।' कवि० ७.१०१ मेरियै : मेरी ही । 'कलिहूं जो सीखि लई मेरिय मलीनता।' कवि० ७.६२ मेरियो : मेरिओ। विन० २७१.२
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