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तुलसी शब्द-कोश
मिलतेउ : क्रियाति०पु० उए० । तो मैं मिलता । ' मिलतेउँ तात कवन बिधि तोही ।'
मा० ७.६६.४
मिलतेहु : क्रियाति०पु० म मुनीसा । मा० १.५१.१
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० मब० । ( यदि ) तुम मिलते । 'जौं तुम्ह मिलतेहु प्रथम
मिलन कठिन उर भा संदेहू ।' मा०
मिलन: (१) सं०पु० (सं० ) । संयोग । १.६८.५ (२) भेंट | 'मिलन सुभग संबाद ।' मा० १.४३ ख (३) भकू० अव्यय । मिलने । 'ससिहि मिलन तम के गन आए ।' गी० १.२६.५
मिलनि, नी : सं० स्त्री० । मिलने की क्रिया + रीति । 'अवलोकनि बोलनि मिलनि ।'
मा० १.४२; ७.१६.४
मिलन: मिलन + कए० । भेंट | 'मुनि गन मिलनु बिसेषि बन ।' मा० २.४१ मिलने की रीति भी । 'निज मिलन्यो नहि मोहि
मिलन्यो : ( मिलनि + ऊ) सिखाई ।' कृ० २५
मिलब : भकृ०पु० । (१) मिलना । 'मिलब हमार भुलाब निज ।' मा० १.१६५ (२) मिलना ( होगा - मिलूंगा ) । 'चौथें दिवस मिलब मैं आई। मा०
१. १७१५ मिलये : भूकृ०पु० ७. १३२
मिलयो : भूकृ०पु०कए० । मिलाया, मिश्रित किया । 'तन मिलय जल पय की नाई ।"
०ब० । मिला दिये । मीस दिये। 'ते मिलये धरि धूरि ।' कवि०
कृ० २५
'मिलव, मिलवs : आ०प्र० (सं० मेलयति > प्रा० मेलवइ = मिलवइ ) | मिलता है, मिश्रित करता है । 'कोटिन्ह मीजि मिलव महि गर्दा ।' मा० ६. ६७.३
मिलवत: वकृ०पु० । मिलाता-ते, मिश्रित करता ते । 'मिलवत अमिय माहुर घोरि के ।' पा०मं० छं० ७
मिलवह: आ०प्र० । मिश्रित करते हैं कर देंगे कर सकते हैं । 'मदि गर्द मिलवहि दस सीसा ।' मा० ५.५५.७
मिलहिं : आप्रब० । मिलते हैं, मिलें, मिल सकते हैं। 'बिनु हरि कृपा मिलहिं नहि.
संता । मा० ५.७.४
मिलहु : आ०म० । मिलो, भेंट करो । 'सीता देइ मिलहु ।' मा० ५.५२ मिला : भूकृ० पु० । 'मिला जाइ जब अनुज तुम्हारा !' मा० ५.५४.२ मिलाइ : पूकृ० । मिला कर, मिश्रित कर (परिचित करा कर तथा एकीभूत करा कर) । 'सादर सबहि मिलाइ समाजहि निपट निकट बैठारि ।' गी० ५.३६.३ मिलाउब: भकृ०पु० । मिलाया जायगा । 'अस बरु तुम्हहि मिलाउब आनी ।' मा०
१.५०.४
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