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तुलसी शब्द-कोश
मधु : सं०पु० (सं०) । (१) पुष्परस, मकरन्द । 'गुंजत मधुपनिकर मधु लोभा । *M मा० ४.१३.१ ( २ ) शहद । 'देति मनहुं मधु माहुर घोरी ।' मा० २.२२.३ (३) मिठास । 'जनक बचन मृदु मंजु मधु भरे । गी० १.६५.५ (४) मधुर । 'मधु सुचि सुंदर स्वादु सुधासी । मा० २.२५०. १ 'अंगद संमत मधु फल खाए ।' मा० ५.२८.७ (५) मद्य, मदिरा । 'मनि भाजन मधु ।' दो० ३५१ 'प्रेम मधु छाके हैं ।' गी० १.६४. २ ( ६ ) वसन्त ऋतु । 'जनु मधु मदन मध्य रति लसई । मा० २.१२३. ३ ( ७ ) चैत्रमास । 'नोमी भोमबार मधुमासा मा० १.३४.५ (८) सृष्टि के आदिकाल में ( कैटभ का अग्रज) असुर विशेष । 'अतिबल मधु कैटभ जेहि मारे ।' मा० ६.६.७ (९) त्रेतायुग में एक राक्षस जो मधुवन में रहता था और शत्रुघ्न द्वारा मारा गया ।
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मधुकर : सं०पु० (सं०) । (१) भ्रमर । मा० २.१३७.८ (२) मधुमक्षिका तद्यथा मक्षिका मधुकर राजानमुत्क्रामन्तं सर्वा एवोत्क्रामन्ते, तस्मिश्च प्रतिष्ठमाने सर्वा एव प्रातिष्ठन्त । ( प्रश्नोपनिषद् २.४) । मधुकर सरिस संत गुन ग्राही ।' मधुकरी : सं० स्त्री० (सं० ) । उपलों की आग पर सेंकी जाने वाली आटे की गोल | 'मागि मधुकरी खात जे ।' दो० ४६४
मधुकरु : मधुकर + कए० । एकाकी भ्रमर । 'पति पद कमल मनु मधुकरु तहाँ ।"
मा० १.१०० छं०
मधुप : सं०पु० (सं०) । (१) मधु ( पुष्परस ) पीने वाला = भ्रमर । मा० १.१७.४ (२) मदिरा पीने वाला + भ्रमर । 'संभु सुक मुनि मधुप प्यास पदकंज मकरंद मधुपान की ।' विन० २०६.४
मधुपर्क: सं०० (सं० ) । दधि, घृत, शर्करा, मधु और जन्न का विशेष मिश्रण ( जो विवाह के पूर्व वर के स्वागत में अर्पित किया जाता है) । मा० १.३२३. छं० १
मधुपान : मधु ( पुष्प रस + मदिरा) का पीना । दे० मधुप ।
मधुपुरी : सं० स्त्री० (सं० ) । मथुरा नगरी जिसमें पहले मधु राक्षस रहता था जो रामानुज शत्रुघ्न द्वारा मारा गया ( इसका प्राचीन नाम 'मधुरा' था ) । कृ० ४७
मधुबन : सं० ० । (१) सुग्रीव (बाली) का रक्षित वन । मा० ५.२६.१ (२) त्रेता में मधु नामक राक्षस का वन, जिसकी नगरी मधुरा (मथुरा) थी । (३) मथुरा: नगरी । 'अब नंदलाल गवन सुनि मधुबन ।' कृ० २५
मधुर : वि० (सं०) । (१) मीठा । 'सुचि फल मूल मधुर मृदु जानी ।' मा०२.८६.८ ( २ ) सुस्वादु । 'जो मन भाव मधुर कछु खाइ' मा० २.५३.१ (३) सरस, प्रिय, रुचिकर । 'तिन्ह कहुं मधुर कथा रघुबीर की ।' मा० १.६.६. (४) स्वर योजना में हृदय ग्राही । 'गारी मधुर स्वर देहि ।' मा० १.६६ छं
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