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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तुलसी शब्द-कोश 803 (३) (सं० भाग्य>प्रा. भग्ग) देव, नियति, अदृष्ट, प्रारब्ध कर्मफल । 'भाग छोट अभिलाष बड़ ।' मा० १.८ (४) भूक०वि०पु० (सं० भग्न>प्रा० भग्ग)। पलायित हुआ, भाग खड़ा हुआ । 'सूख हाड़ लै भाग सठ।' मा० १.१२५ (५) दे०/भाग। /भाग, मागइ : आ.प्रए० (सं० भग्नो भवति>प्रा० भग्गइ)। भागता है, दूर जाता है । 'तेहि बिन मोह न भाग ।' दो० १३२ 'सेवत साधु द्वैत भय भाग ।' विन० १३६.११ मागत : वकृ००। पलायन करता-करते । 'भागत भट पटकहिं धरि धरनी।' मा० ६.४७७ भागन : भक० अव्यय । भागने, पलायित होने । 'भय आतुर कपि भागन लागे।' मा० ६.४३.१ मागभाजन : (दे० भाग) भाग्यपात्र, सौभाग्यशाली । 'भूरि भागभाजन भयहु ।' मा० २.७४ माहि, हीं : आ०प्रब० । पलायन करते हैं । दिसि बिदिसि कहँ कपि भागहीं।' मा० ६.८२ छं० मागा : (१) भाग । अंश । 'कतहुं न दीख संभ कर भागा।' मा० १.६३.४ (२) भाग । पलायित । 'प्रगटत दुरत जात मृग भागा ।' मा० १.१५७.४ भागि : (१) पूक० । भाग कर, पलायन करके । 'भागि पैठ गिरि गुहाँ गभीरा।' मा० १.१५७.६ (२) आo-आज्ञा-मए । तू भाग । 'अभागे भोंड़े भागि रे।' कवि० ५.६ भागिनि, नी : वि०स्त्री० । भाग्यवती, भाग्यशालिनी । गी० २.२२.२ भागिहैं : आ०भ०प्रब० । पलायन कर जायेंगे। भभरि भागिहैं भाग ।' दो० ७० भागिहै : आ०म०प्रए । भाग खड़ा होगा । 'सहित सहाय कलिकाल भीरु भागिहै।' विन० ७०.२ भागी : (१) भागि । पलायन करके । 'चले लोग सब ब्याकुल भागी।' मा० २.८४.४ (२) वि.पु. (सं० भागिन) । प्राप्यांश का अधिकारी पात्र । 'कलिमल रहित सुमंगल भागी।' मा० १.१५.११ (३) भाग्यशाली। 'कोने बड़े भागी के सुकृत परिपाके हैं ।' गी० १.६४.१ (४) (समासान्त में) वि०स्त्री० । भाग्य वाली । 'मानहुं मोहि जानि हत भागी (सं० हत भाग्या)।' मा० ५.१२.६ (५) भूकृ०स्त्री० । पलायन कर गई । 'धीरता भागी।' मा० १.३३८.५ भागीरथी : सं०स्त्री० (सं.)। राजा भगीरथ की पुत्रीगङ्गा जी। कवि० ७.१४७ For Private and Personal Use Only
SR No.020840
Book TitleTulsi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBacchulal Avasthi
PublisherBooks and Books
Publication Year1991
Total Pages612
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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