________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
566
तुलसी शब्द-कोश
पदाति : सं०पू० (सं.)। पैदल (सेना) । मा० ६.८६.३ पदादपि : (सं0-पदात्+अपि) पद से भी, स्थान से भी। मा० ७.१३ छं० ३ पदादिका : पदाति (सं० पदातिका)। पैदल सेना । दो० ५२५ । पदाब्ज : सं०-पद+अब्ज)। चरण कमल, कमल-तुल्य सुन्दर कोमल चरण, चरण ___ रूपी कमल । मा० ३.४ छं० पदारथ : सं०० (सं० पदार्थ) । कोई वस्तु जो शब्दबोधक हो। (२) पुरुषार्थ
चतुष्टय । 'चारि पदारथ करतल तोरें । मा० १.१६४.७ पदारबिंद : (सं०-पद+अरबिंद) पदाब्ज । मा० ६.५५ पदारबिंदु : पदारबिंद+कए ० । एकमात्र चरण कमल । ‘राम पदारबिंदु अनुरागी।' ___ मा० ७.१.३ पदिक : (१) सं०० (सं०) । पैर की नोक । (२) वि० । पैरों तक (लम्बा)।
'पदिक हार भूषन मनि जाला ।' मा० १.१४७.६ 'उर बनमाल पदिक अति सोभित ।' विन० ६३.४ (३) चरणचिह्न+ लम्बा हार। 'उरसि राजत
पदिक ।' गी० ७.५.६ (दे० भगुचरन)। पदु : पद+कए । अधिकार । 'जगु बौराइ राज पदु पाएँ।' मा० २.२२८.८ पदम : पद्म । (१) कमल । बंदउँ गुरुपद पदुम परागा।' मा० १.१.१ (२) संख्या
विशेष जिसमें सो खर्व होते हैं । 'पदुम अठारह जूथप बंदर ।' मा० ५.५५.३ पदुमकोस : सं०० (सं० पद्मकोश)। कमल पुष्प का सम्पूर्ण भीतरी भाग, कमल
पुष्प का आकार । गी० १.१०८.७ पदुमराग : सं०० (सं० पद्मराग) । मणिविशेष । मा० १.२८७ पद्म : सं०० (सं०) । कमल । विन० २६.५. पद्मालया : सं०स्त्री० (सं.)। लक्ष्मी । विन० ५१.६ पदमासन : सं०० (सं.)। योग में बैठने की एक मुद्रा जिसमें बायाँ पैर दाहिने
ऊरुमूल के ऊपर टिका कर दायाँ पैर बाएँ ऊरुमल पर रखा जाता है और फिर
सीधे तन कर बैठा जाता है । विन० ६०.५ पन : सं०पु० (सं० पण) । (१) प्रतिज्ञा, संकल्प, व्रत । 'अस पन तुम्ह बिनु करै
को आना ।' मा० १.५७.५ (२) वय, अवस्था । 'चौथें पन जेहिं अजसु न होई ।' मा० २.४३.५ (३) (अ० प्रत्यय) भाव, स्थिति, अवस्था । बाल पन
आदि। पनच : सं०स्त्री० (सं० पतञ्चिका=पतञ्चा>प्रा० पडंचा>० पडंच) । धनुष
की डोरी । मा० २.१३३.३ पनव : सं०० (सं० पणव) । वाद्यविशेष, छोटा नक्कारः । मा० १.२६६२ पनवानक (पणव + आनक) नक्कारे तथा ढोल । गी० २.४८.३
For Private and Personal Use Only