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तुलसी शब्द-कोश
इकतार : वि०+क्रि०वि० । निरन्तर, धाराप्रवाह, अविच्छिन्न (ध्यान में अखण्ड __ चित्त प्रवाह जिसमें तार न टूटने जैसी क्रिया हो)। 'रमन राम इकतार ।'
वैरा० २६ इकोस : संख्या (सं० एकविंशति>प्रा० इक्कवीसा) कवि० १.७ इगार हों : संख्या विशेषण (सं० एकादश>प्रा० एगारहम <अ० एगारहवें)।
ग्यारहवाँ । 'तुलसी कियो इशारहों बसन बेस जदुनाथ ।' दो० १६८ (दस
अवतारों के अतिरिक्त ग्यारहवाँ वस्त्रावतार ।) इच्छा : इच्छा से । 'निज इच्छाँ प्रभु अवतरइ ।' मा० ४.२६ इच्छा : सं० स्त्री० (सं.)। (१) (जीव के सन्दर्भ में) काँपना। 'समदरसी इच्छा
कछुलाहीं।' मा० ५.४८.६ (२) ईश्वर की लीला शक्ति, महामाया 'निज इच्छा निर्मित तनु मायागुन गोपार ।' मा० १.१९२ (३) महामाया की कार्य
शक्ति । 'निज इच्छा लीला बपु धारिनि ।' मा० १.६८.४ इच्छाचारी : वि० (सं०) ? स्वच्छन्द, उच्छृङ्खल, मनचाहा करने वाला, अनाचारी।
'कुटिल कहल प्रिय इच्छाचारी ।' मा० २.१७२.७ (२) इच्छानुसार बेरोक गति
लेने वाला । 'चले गगन महि इच्छाचारी ।' मा० ५.३५ ६ इच्छाजीवन : मनचाहे समय तक जीवित रहना । गी० ३.१५.२ इच्छामय : वि० (सं०) । (१) इच्छाजनित (२) इच्छा (लीला) का ही परिणत __रूप । 'इच्छामय निज बेष संवारें।' मा० १.१५२.१ इच्छामरन : यथेच्छ जीवित रहकर जब चाहे तभी मरने वाला । 'कामरूप इच्छा. __ मरन ।' मा० ७.११३ क इच्छित : भू००वि० (सं० इस्ट>प्रा० इच्छिअ)। मनचाहा, अभीष्ट । मा०
१.७०.८ इत : क्रि०वि० (सं० इतः) । इधर, इस ओर । मा० १.२०३ इतनी : एतनी । गी० ५.७.४ इतनो : वि.पु. कए (सं० इयान् >प्रा० इत्तुल्लो)। इस मात्रा या संख्या वाला।
कवि० ७.३७ इतनोइ, ई : इतना ही । गी० १.१०६.२ इतर : वि० (सं०) । अन्य, साधारण । 'जनु देत इतर नृप कर बिभाग ।' गी०
२.४६.५ /इतरा, इतराइ, ई : (सं० इत्वरायते>प्रा० इत्तराइ) आ०प्रए । चञ्चल होता
है, बहक चलता है, मनमानी करता है । इच्छाचारी हो जाता है, दूसरे की
अवज्ञा करने लगता है। 'जिमि थोरेहुं धन खल इतराई ।' मा० ४.१४.५ इताति : सं० स्त्री० (अरबी-इताअत) । आज्ञापालन, सेवाशुश्रूषा । 'निसि बासर
ता कहँ भलो मान राम इताति ।' दो० १४८