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________________ तुलसी शब्द-कोश अवराधह : आ० प्रब० । आराधना करें । 'कहिय उमहि मनु लाइ जाइ अवराधहि ।' पा० मं० २३ अवराधहु : आ० मब० । आराधना करते या करती हो । 'केहि अवराधहु का तुम्ह 52 चहू ।' मा० १.७८.३ अवधि : आ० कवा० प्र० । आराधन कीजिए। 'बीर महा अवराधिए ।' विन० १०८.१ अवराधें : आराधन से । ' इच्छित फलु बिनु सिव अवराधे ।' मा० १.७०.८ अवराधे : भू० कृ० पु ं० ( बहु० ) | आराधित किये, पूजे, अनुकूल किये। इन्ह को नहि सव अवराधे । मा० १.२१०.२ अवरेखी : भू० ०क० स्त्री० (सं० अवरेखिता ) । रेखाङ्कित की हुई ; चित्रित की हुई; रेखाओं में उकेरी हुई; उरेही हुई । 'रहि जनु कुअँरि चित्र अवरेखी ।' मा० १.२६४.४ अवरेखु : आ० आज्ञा-मए । तू रेङ्खांकित कर, चित्रित कर । 'चित्त भीति, सुप्रीति रंग, सुरूपता अवरेखु ।' गी० ७.६.१ प्रवरेब, ब : सं० [स्त्री० (सं० अवरेबा, अवरेवा - अव + रेबृ रेवृ गतौ — टेढ़ी चाल, अगवति, प्रतीति) (१) वक्रोक्ति, लाक्षणिकता, काव्य की अतिशयोक्ति जो अलंकारों का प्राण है, कवि कल्पना की वक्रता, वाग्वैदग्ध्य । 'धुनि अवरेब afer गुन जाती ।।' मा० १.३७.८ (२) उक्त प्रकार से टेढ़ाई का अर्थ लेकर यह शब्द उलझन, ग्रन्थि, असमञ्जस जैसा अर्थ भी देता है । 'राम कृप अवरेब सुधारी ।' मा० २.३१७ . ३ ( ३ ) संकट, बाधा, अपवाद । मिटिहि अनट अवरेब ।' मा० २.२६६ अवलंब : सं० पुं० (सं० ) । आश्रय, आधार, सहारा । 'सो सुतंत्र अवलंब न आना । मा० ३.१६.३ अवलंबन : अवलंब (सं०) । मा० १.२६.७ अवलंबन : अवलंबन + कए । एकमात्र सहारा । 'तुम्ह अवलंबनु दीन्ह ।' मा० २.१८४ अवलंबा : अवलंब । मा० २.६०.७ अवलंब: पूक० । अवलम्बन करके, सहारा लेकर । गी० ५.६.३ I अवलंबु : अवलंब + कए । एकमात्र सहारा । ' आपने तो एकु अवलंबु ।' कवि ०. ७.८१ अलि, ली : सं० [स्त्री० (सं० आवलि) । पंक्ति, श्रेणी, समूह । 'मनहुं ब्लाक अवलि मनु करहि ।' मा० १.३४७.२ अवल: अवली + बहु० । श्रेणियाँ 'जनु सुबेलि अवलीं हिम भारी ।' मा० २.२४४.६
SR No.020839
Book TitleTulsi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBacchulal Avasthi
PublisherBooks and Books
Publication Year1991
Total Pages564
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size32 MB
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