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पण्डित बच्चूलाल अवस्थी व्याकरणाचार्य, साहित्याचार्य, एम.ए., पी-एच डी., डी० लिट्. जन्म-श्रावण शुक्ल २ गुरुवार सं० १९७५
___दिनाङ्क ८।८।१८ ई० सारस्वत साधना के एकनिष्ठ साधक । व्याकरण, साहित्य और दर्शन के मूर्धन्य विद्वान् । संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश और हिन्दी भाषा एवं साहित्य पर विलक्षण अधिकार, उर्दू और आंग्ल भाषा व साहित्य का भी विशद अध्ययन । _काव्य में रहस्यवाद, काव्याङ्गदीपिका, हिन्दी-रचना प्रबोध, ध्वनिसिद्धान्त तथा तुलनीय-साहित्य-चिन्तन, भारतीय काव्य-समीक्षा में ध्वनि-सिद्धान्त आदि बहुचर्चित ग्रन्थों के रचयिता।
दीर्घ परिश्रम और साधना से 'भारतीय दर्शनबृहत्कोश' और 'हिन्दीव्युत्पत्तिकोश' का निर्माण ।
प्रतिष्ठित समीक्षक, विवेचक और तत्त्ववेत्ता होने के साथ ही गहरी अन्तर्दृष्टि से सम्पन्न । हिन्दी और विशेषतः संस्कृत में काव्य-प्रणयन । ___ लखीमपुर-खोरी (उ.प्र.) के महाविद्यालय और हिन्दी विभाग, साग में प्राध्यापन के अनन्तर सम्प्रति कालिदास अकादमी, उज्जैन के आचार्यकुल में वरिष्ठ आचार्य के रूप में नाट्य-शास्त्र के सम्पादन की महत्वाकांक्षी योजना तथा पारम्परिक भारतीय विधा के बिशिष्ट अध्यापन के प्रति समर्पित। सम्पर्क-कालिदास अकादमी, उज्जैन (म.प्र.)