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तुलसी शब्द कोश
निबगे : निबहहिंगे । गी० २.३४.३
निब है: निबहइ । निभ जाय । 'निब है सब भाँति सनेह सगाई ।' कवि० ७.५८ निब है : आ०भ०पु०प्र० । निभेगा, लक्ष्य प्राप्त करेगा । 'तुलसी पे नाथ के निबाहेई बिगो ।' विन० २५६.४
निबहगो : आ०भ०पु० उ० । निभ जाऊँगा, पार पा जाऊँगा, अन्त तक पहुंच जाऊंगा । 'अवधि लौं बचन पालि निबहोंगो ।' गी० २.७७.३
निबो : भूक०पु०कए० । निभ गया, पूरा पड़ा । 'कछु न काज निबह्यो है ।' गी० ४.२.२
निबाह : सं०पु० (सं० निर्वाह > प्रा० निव्वाह ) । निभाव, परिणाम पर्यन्त कार्य पित्त । 'बिधि बस होइ निबाह ।' रा०प्र० ३.७.४ (२) योगक्षेम, गुजारा । ( ३ ) दे० निबाहु |
/ निबाह निबाहs : (सं० निर्वाहयति > प्रा० निव्वाहइ = / निबह + प्रेरणा ) | आ०प्रए० । सम्पन्न करता है, परिणाम तक पहुंचता है । पूरा करता है | निबाहत : वकृ०पु० । निर्वाह करता ते; पूर्णता देता ते । 'स्वातिहू निदरि निबाहत
नेम ।' दो० २८६
निबाहनिहारा : वि०पु० । निभाने वाला, छोर तक यथावत पहुंचाने वाला । 'सील सनेहु निबाहनिहारा ।' मा० २.२४.२
निबाहब : भूकृ०पु० । निभाना, परिणाम तक पहुंचाना । 'नेह निबाहब नीका । दो०४ ६६
निबाहा: भूकृ०पु० (सं० निर्वाहित > प्रा० निव्वाहिअ ) । निभाया, अन्त तक उचित रीति से पहुंचाया। 'जेहिं तनु परिहरि प्रेमु निबाहा । मा० २.१७१.६ निबाहि: पूकृ० (सं० निर्वा> प्रा० निव्वाहिअ >> अ० निव्वाहि ) | पूरा करके, सम्पन्न करके । 'नित्य निबाहि मुनिहि सिर नाए ।' मा० १.२२७.१ निबाहिए : आ०कवा०प्रए । निभाया जाए, अन्त तक पूर्ण किया जाए । 'तेहि
नातें नेह ने निज ओर तें निबाहिए ।' कवि० ७.७६
निबाहिब : भकृ०पु० (सं० निर्वाहयितव्य > प्रा० निव्वाहिअव्व ) । निर्वाह करना । 'हँ तहँ राम निबाहिब नाथ सनेहु ।' बर० ६६
निबाहिबे : निबाहिब ( का रूपान्तर ) ( प्रा० निव्वाहिअव्वय) । निर्वाह करने, पूर्ति देने । 'अपनी निबाहिबे नृप की निरबही है ।' गी० २.४१.३
निबाहीं : भूकृ ० स्त्री०ब० । निभा दीं, पूर्ण कर दीं। 'प्रभु प्रसाद सिवँ सबइ
निबाहीं ।' मा० २.४.४
निबाही : (१) भूकृ० स्त्री० । पूर्ण की। ' नाम के प्रताप बाप आजु लौं निबाही नीकेँ ।' कवि० ७.८० (२) निबाहि । चुकता करके, पूरा कर । 'आजु बरु सब लेउँ निबाही ।' मा० ६.६०.७