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________________ 472 तुलसी शब्द-कोश देखहि, ही : आ०प्रब० । देखते हैं । 'देखहिं दरसु नारि नर धाई ।' मा० २.१०६.७ देखहुं : आ०-आज्ञा-प्रब० । देखें। 'देखहुं कवि जननी की नाई।' मा० ६.१०८.१२ देखहु : आ०मब० । देखा, देखते हो । 'द्वंदजुद्ध देखहु ।' मा० ६.८६ देखा : (१) भूक०पु। अवलोकन किया। मा० १.४६.८ (२) देखइ । मा० ७.७३.५ /देखा, देखाइ, ई : देखा+प्रए । दिखाई पड़ता-ती है। 'कामिन्ह के दीनता देखाई।' मा० ३.३६.२ देखाइ : पूक० । दिखला कर । 'नगर देखाइ तुरत ले आवौं ।' मा० १.२१८.६ देखाइअत : वकृ०- कवा०-पु । दिखाया जाता (है)। 'कामु कोहु लाइ के देखाइअत आंखि मोहि ।' कवि० ७.१०० देखाइहौं : आ०भ०उए । दिखाऊँगा । 'कटि लौं जल थाह देखाइहौं जू ।' कवि० २.६ देखाइहो : आ०भ०मब० । दिखलाओगे । 'कबहिं देखाइही हरि चरन ।' विन २१८.१ देखाई : (१) देखाइ । दीखता है। दे० /देखा। (२) देखाइ। दिखला कर । 'मातु तात कहँ देहि देखाई ।' मा० २.१६४.३ (३) भूक०स्त्री० । दिखलायी। 'पनु करि रघुपति भगति देखाई ।' मा० १.१०४.८ देखाउ, ऊ : आ०-प्रार्थना, आज्ञा-मए । 'बेगि देखाउ मूढ़ ।' मा० १.२७०.४ _ 'राम लखनु सिय आनि देखाऊ ।' मा० २.१५०.२ देखाउब : भकृ०० । दिखना होगा (दिखाऊँगा, दिखाएंगे)। 'सर निरझर बन ठाउँ देखाउब।' मा० २.१३६.७ देखाए, ये : भूकृ००ब० । दिखलाये । 'एहि बिधि मुनिबर भवन देखाए।' मा० २.१३२.१ देखादेखी : सं०स्त्री । परस्पर बार-बार देखने की क्रिया । 'देखादेखी दंभ तें कि संग तें भई भलाई।' विन० २६१.३ देखायउ : आ०-भूक० + उए । मैंने दिखलाया। 'सो बल तात न तोहि देखायउँ ।' मा० ६.७२.८ देखायो : भूकृ००कए । दिखलाया । 'सरनागत पर प्रेम देखायो।' गी० ६.४.२ /देखाव, देखावह : (/देख+प्रेरणा-प्रा० देक्खावइ-दिखलाना) आ०प्रए । दिखलाता-ती है । 'सोइ-सोइ भाव देखावइ ।' मा० ७.७२ ख देखावत : वकृ०० । दिखलाता, दिखलाते । 'कपिन्ह देखावत नगर मनोहर ।' मा० ७.४.१
SR No.020839
Book TitleTulsi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBacchulal Avasthi
PublisherBooks and Books
Publication Year1991
Total Pages564
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size32 MB
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