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तुलसी शब्द-कोश
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दुतीय : संख्यात्मक वि० (सं० द्वितीय) । दूसरा । कवि० ७.६५ दुत्त : वि० (सं० द्रुत) । फुर्तीला, तीव्र गति वाला । 'दुत्त मत्त मृग मराल ।' गी०
२.४३.३ दुनिये : (दे० दुनी) दुनिया ही, विश्व-प्रपञ्च ही। 'बिरची बिरंचि सब देखियत ___ दुनिये ।' हनु ० ४४ दुनी : दुनिया में । 'बिदित बात दुनीं सो।' कवि० ७.७२ दुनी : सं०स्त्री० (फा० दुनिया)। संसार, पृथ्वीलोक । 'कबिबृद उदार दुनी न __ सुनी ।" मा० ७.१०१.६ दुबिद : द्विबिद । मा० ६.४३.२ दुबिध : वि० (सं० द्विविध)। दो प्रकार का-की । दुबिधायुक्त, दुचित्त । दुबिध
मनोगति प्रजा दुखारी।' मा० २.३०२.६ दुभाषी : वि० (सं० द्विभाषिक)। दो भाषाओं का ज्ञाता जो वक्ता की भाषा का
अनुवाद श्रोता की भाषा में करता है तथा श्रोता की बात को वक्ता की भाषा में रखता है दुभासिया । "अगुन सगुन बिच नाम सुसाखी । उभय प्रबोधक
चतुर दुभाषी ।' मा० १.२१.८ दुरंत : वि० (सं०) । जिसका अन्त कठिनाई से पाया जाय=दुष्पार । 'दुस्तर दुर्ग
दुरंत..."दुराधरष भगवंत ।' मा० ७.६१ ख दुरई : दुरहिं । मा० २.१६३.१ (पाठान्तर)। दुरइ : आ०प्रए । छिपता है । 'बैर प्रेम नहिं दुरइ दुराएँ ।' मा० २.२६४.२ दुरघट : दुर्घट । विन० ५६.६ .. दुरजन : दुर्जन । कृ०६० दुरत : वकृ०० । छिपता-छिपते । 'प्रगटत दुरत जाइ मृग भागा।' मा० १.१५७.४ दुरतिक्रम : वि० (सं.)। जिसका अतिक्रमण कठिन (या असंभव) हो । 'कालु सदा
दुरतिक्रम भारी ।' मा० ७.६४.८ दुर्दशा : सं०स्त्री० (सं० दुर्दशा) । दुरवस्था, दुर्गति, कष्टमयी। स्थिति । विन०
१४६.३ दुरदिन : सं०पु० (सं० दुर्दित) । (१) मेघाच्छादित दिन (२) नैराश्यपूर्ण संकट ___ का समय । 'दिन दुरदिन दिन दुरदसा दिन दुख दिन दूषन ।' विन० १४६.३ दुरनि : सं०स्त्री० । छिपने की क्रिया, गोपन । 'दुरनि त्यागि दामिनि जनु ___ दमकति ।' गी० ७.१७.६ दुरबासना : दुर्वासना । कवि० ७.११६ दुरबासा : सं०० (सं० दुर्वासस्-दुर्वासाः) एक मुनि का नाम जो क्रोधी प्रसिद्ध
हैं । मा० २.२१८.६ दुरलभ : दुर्लभ । मा० ३.३६.८