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तुलसी शब्द-कोश
जनमपत्रिका : जन्म कुण्डली जिसमें जन्मकाल की ग्रहस्थिति आदि का ब्योरा रहता
है। दो० २६८ जनमफल : जनमफल+कए । जीवन का एकमात्र फल, परम पुरुषार्थ । मा०
२.१२१.८ जनमा : जनम+भू००० । उत्पन्न हुआ। 'नहिं अस कोउ जनमा जग माहीं।'
मा० १.६०.८ जनमि : (१) जनमी। उत्पन्न हुई। 'जौं जनमि त भइ काहे न बांझा।' मा०
२.१६४ ४ (२) पूकृ० । जन्म लेकर, उत्पन्न होकर । 'भए जग जनमि जनकपुर
बासी।' मा० १.३१०.४ जनमी : जनमी+ब० । उत्पन्न हुई । 'जनमी पारवती तनु पाई।' मा० १.६५.६ जनमी : जनम+भूकृ०स्त्री० । उत्पन्न हुई। 'जनमी जाइ हिमाचल गेहा ।' मा०
१.८३.२ जनम् : जनम+कए । 'जद्यपि जनम कुमातु तें।' मा० २.१८३ जनमे : जनम+भूकृ००ब० । उत्पन्न हुए। 'जनमे एक संग सब भाई ।' मा०
२.१०.५ जनमेउं : आ० - भूक००+उए । मैंने जन्म लिया। 'कवन जोनि जनमेउं जग ___ नाहीं ।' मा० ७.६६.८ जममेउ : जनम+भूकृपु०कए । उत्पन्न हुआ। तब जनमेउ षटबदन कुमारा।' ___ मा० १.१०३.७ . जनम्यो : जनमेउ । कवि ७.३२ जनयत्री : वि०स्त्री० (सं० जनयित्री)। उत्पन्न करने वाली, जननशीला । 'द्विज __ पद प्रीति धर्म जनयत्री ।' मा० ७.३८.६ जनवास : सं०० (सं० जन्य =दूल्हा तथा सहयात्री+बास>प्रा० जन्नवास)।
बारात ठहरने का स्थान । 'गईं जहाँ जनवास ।' १.३०८ । जनवासा : जनवास मा० १.३०८.६ जनवासे : (१) जनवासा का रूपान्तर । 'जनवासे कहुं चले लवाई।' मा० १.३०६.४
(२) (सं० जन्यवासे-प्रा० जण्णवासे) । जनवास में । 'गे जनवासे राउ।'
जा०म० १५८ जनवासेहिं : जनवास में । 'उबरा सो जनवासेहिं आवा।' मा० १.३२६.७ जनवासेहि : जनवासे को । 'जनवासेहि चले ।' जा०म० छं० २० जनाइ : (१) पक० (सं०ज्ञापयित्वा>प्रा० जाणाविअ>अ० जाणावि । जता कर ।
'कहिबी नाम दसा जनाइ।' विन० ४१.३ (२) जनाई। बतायी। 'आपनि बात जनाइ।' रा०प्र० ५.२.७